बड़वानी/ कौआ का रंग काला होता है। सभी लोग अभी तक काले कौवे को ही देखते आए हैं। ऐसे अगर किसी को व्हाइट कौआ दिख जाए तो हैरान होना स्वभाविक है। देश के किसी न किसी हिस्से साल में एक या दो बार सफेद कौआ दिख जाता है।
अब मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले स्थित दत्तवाड़ा में सफेद कौआ दिखा है। सफेद कौआ को लेकर धार्मिक मान्यताएं भी काफी रोचक हैं।
दरअसल, जिले के ग्राम दत्तवाड़ा के चंगा बाबा आश्रम में सफेद कौआ देखा गया है। यह कौवा एक दुर्लभ प्रजाति का है। देश के कई हिस्सों में कई बार सफेद कौआ नजर आ चुका है। मध्यप्रदेश के सतना में भी पिछले साल सफेद कौआ दिखा था। उससे पहले तमिलनाडु के कोयंबटूबर में भी सफेद कौआ को देखा गया है। मान्यता है कि जैसे ब्लैक को देखना अशुभ होता है, ठीक उसके उल्ट सफेद कौआ को देखना शुभ माना जाता है।
*रंगहीनता की बीमारी से है ग्रसित*
वहीं, पीजी कॉलेज के जूलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी दिनेश वर्मा ने बताया कि यह कौआ रंगहीनता की बीमारी से ग्रसित है। किसी कौवे का रंग बाद में सफेद हो जाना आनुवंशिक बीमारी की वजह से होता है। दो साल पहले तिरुवनंतपुरम में और 2014 में कोयंबटूबर में भी एक सफेद कौआ देखा गया है। हालांकि इसके पीछे की जो धार्मिक किवदंतियां हैं, उसकी वजह से इसे देखना लोगों के लिए रोमांचकारी होता है।
*ये हैं कहानी*
धार्मिक किवदंतियों के अनुसार कौआ पहले सफेद ही होता था। एक साधु ने एक सफेद कौवे को एक बार अमृत की तलाश में भेजा। साथ ही यह चेतावनी दी कि तुम्हें अमृत के बारे में सिर्फ पता करना है, उसे पीना नहीं है। उसने अपनी सहमति इस पर दे दी। उसके बाद कौआ अमृत की तलाश में निकल गया। कठिन परिश्रम के बाद कौवे को अमृत मिल गया।
*अमृत पी लिया*
कौवे ने अमृत मिलने के बाद उसे पी लिया। साथ ही उसने साधु को दिए वचन को तोड़ दिया। हालांकि उसे यह पछतावा हुआ कि उसने साधु की बात न मानकर गलती की है। फिर उसने साधु को आकर अपनी पूरी बात बताई। यह सुनते ही साधु आवेश में आ गए। साधु ने कहा कि तुमने अपनी अपवित्र चोंच से अमृत की पवित्रता को नष्ट कर दिया है। इसलिए आज के बाद मानव जाति तुमसे घृणा करेगी। साथ ही तुम्हारी मृत्यु भी हमेशा आकस्मिक ही होगी। इसके बाद साधु ने उसे अपने कमंडल के काले पानी में डुबो दिया। उसके बाद उसका रंग काला हो गया और वह काले होकर उड़ गया। हालांकि यह किवदंतियां है। क्योंकि इसके कोई प्रमाण नहीं हैं।