पंकज पाराशर छतरपुर भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मुश्किलें बढ़ती नज़र आ रही है, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी उन पर शिकंजा कसा है। 2017 में शिवराज सरकार के कार्यकाल में हुए पौधरोपण कथित घोटाले में सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं। अब इस मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा द्वारा की जाएगी। यह जानकारी प्रदेश के वन मंत्री उमंग सिंघार ने दी। दरअसल, वन मंत्री उमंग सिंघार ने आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लू) को पत्र लिखकर जांच करने के लिए कहा है। इस मामले में आधा दर्जन से ज्यादा वन अधिकारियों के खिलाफ भी जांच की जाएगी। मामले में आरोप लगाया गया है कि नर्मदा नदी के किनारे छह करोड़ से ज्यादा पेड़ लगाने के विश्व रिकॉर्ड बनाने की कोशिश के चलते पब्लिक फंड के पैसों का दूसरे लोगों को लाभ पहुंचाने के इरादे से इस्तेमाल किया गया। हालांकि, सरकार रिकार्ड बनाने में नाकाम रही थी। सिंघार ने कहा कि विश्व रिकॉर्ड बनाने के नाम पर पूर्व शिवराज सरकार ने सिर्फ ढोंग किया। उन्होंने कहा कि ग्नीज़ बुक वर्ड रिकार्ड के मुताबिक महज 4.5 फीसदी पौधरोपण मापदंडों के तहत किया गया था। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि 455 करोड़ रुपये की वृक्षारोपण परियोजना में बड़े पैमाने पर विसंगतियां पाई गई हैं। उन्होंने कहा कि पौधे गुजरात और महाराष्ट से मंगवाए गए थे। जबकि गड्ढे खोदने के लिए जेसीबी मशीन का उपयोग किया गया लेकिन कई स्थानों पर गड्ढे खोदे नहीं गए। उन्होंने कहा कि इस मामले में पूर्व वन मंत्री गौरीशंकर शेजवार और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी गई है। वन विभाग द्वारा दिखाए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि तत्कालीन अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक बीबी सिंह को परियोजना का नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया था और सेवानिवृत्त पीसीसीएफ वाई सत्यम को अनुबंध के आधार पर राज्य योजना आयोग में एक विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त किया गया था। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, रोपण के लिए 1.21 लाख से अधिक स्थानों की पहचान की गई और 7.10 करोड़ पौधे लगाए गए, जबकि गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के अधिकारियों ने मप्र सरकार को जो आंकड़े पेश किए, उनमें केवल 5,540 पौधरोपण स्थल थे और अंत में 2.22 करोड़ पौधे लगाए गए थे। दस्तावेजों में इस बात का भी खुलासा किया गया है कि पूर्व वन मंत्री ने रिकॉर्ड बनाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए l एक जांच के बाद, विभाग ने बताया कि 2.96 करोड़ से अधिक पौधे लगाए गए थे, जिनमें से 59% फरवरी 2019 में जीवित थे। मंत्री ने बताया कि उन्हें विभाग द्वारा गलत जानकारी दी गई थी क्योंकि बैतूल के पथाई RF227 क्षेत्र में विभाग ने दावा किया था कि 15,625 पौधे लगाए हैं जबकि निरीक्षण के दौरान केवल 9985 गड्ढे मिले थे। 11,140 जीवित पौधों के मुकाबले, एक निरीक्षण के दौरान मंत्री ने 2,343 पौधों को मौके पर पाया था।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की बढ़ी मुश्किलें
पंकज पाराशर छतरपुर भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मुश्किलें बढ़ती नज़र आ रही है, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी उन पर शिकंजा कसा है। 2017 में शिवराज सरकार के कार्यकाल में हुए पौधरोपण कथित घोटाले में सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं। अब इस मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा द्वारा की जाएगी। यह जानकारी प्रदेश के वन मंत्री उमंग सिंघार ने दी। दरअसल, वन मंत्री उमंग सिंघार ने आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लू) को पत्र लिखकर जांच करने के लिए कहा है। इस मामले में आधा दर्जन से ज्यादा वन अधिकारियों के खिलाफ भी जांच की जाएगी। मामले में आरोप लगाया गया है कि नर्मदा नदी के किनारे छह करोड़ से ज्यादा पेड़ लगाने के विश्व रिकॉर्ड बनाने की कोशिश के चलते पब्लिक फंड के पैसों का दूसरे लोगों को लाभ पहुंचाने के इरादे से इस्तेमाल किया गया। हालांकि, सरकार रिकार्ड बनाने में नाकाम रही थी। सिंघार ने कहा कि विश्व रिकॉर्ड बनाने के नाम पर पूर्व शिवराज सरकार ने सिर्फ ढोंग किया। उन्होंने कहा कि ग्नीज़ बुक वर्ड रिकार्ड के मुताबिक महज 4.5 फीसदी पौधरोपण मापदंडों के तहत किया गया था। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि 455 करोड़ रुपये की वृक्षारोपण परियोजना में बड़े पैमाने पर विसंगतियां पाई गई हैं। उन्होंने कहा कि पौधे गुजरात और महाराष्ट से मंगवाए गए थे। जबकि गड्ढे खोदने के लिए जेसीबी मशीन का उपयोग किया गया लेकिन कई स्थानों पर गड्ढे खोदे नहीं गए। उन्होंने कहा कि इस मामले में पूर्व वन मंत्री गौरीशंकर शेजवार और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी गई है। वन विभाग द्वारा दिखाए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि तत्कालीन अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक बीबी सिंह को परियोजना का नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया था और सेवानिवृत्त पीसीसीएफ वाई सत्यम को अनुबंध के आधार पर राज्य योजना आयोग में एक विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त किया गया था। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, रोपण के लिए 1.21 लाख से अधिक स्थानों की पहचान की गई और 7.10 करोड़ पौधे लगाए गए, जबकि गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के अधिकारियों ने मप्र सरकार को जो आंकड़े पेश किए, उनमें केवल 5,540 पौधरोपण स्थल थे और अंत में 2.22 करोड़ पौधे लगाए गए थे। दस्तावेजों में इस बात का भी खुलासा किया गया है कि पूर्व वन मंत्री ने रिकॉर्ड बनाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए l एक जांच के बाद, विभाग ने बताया कि 2.96 करोड़ से अधिक पौधे लगाए गए थे, जिनमें से 59% फरवरी 2019 में जीवित थे। मंत्री ने बताया कि उन्हें विभाग द्वारा गलत जानकारी दी गई थी क्योंकि बैतूल के पथाई RF227 क्षेत्र में विभाग ने दावा किया था कि 15,625 पौधे लगाए हैं जबकि निरीक्षण के दौरान केवल 9985 गड्ढे मिले थे। 11,140 जीवित पौधों के मुकाबले, एक निरीक्षण के दौरान मंत्री ने 2,343 पौधों को मौके पर पाया था।