यह राजनीति की मदिरा बड़ी नशीली है सब नेताओं ने थोड़ी-थोड़ी पी ली है
के सी शर्मा /कहते हैं कि नशे में सबसे बड़ा नशा होता है सत्ता का नशा और ये बड़ा नशा करके मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा भाजपा ने 15 साल तक राज किया उसी नशे की लत के कारण मध्यप्रदेश में जब से कांग्रेस की सरकार बनी है तब से लेकर आज तक भाजपा के कई बड़े नेता अपने अपने कार्यकर्ताओं को दिलासा देते आ रहे थे कि चिंता मत करो ये अपाहिज बगैर बहुमत वाली बैसाखियों पर चलने वाली कांग्रेस सरकार हैं। ये सरकार जल्द ही अपने आप गिर जायेगी और भाजपा की सरकार शिवराजसिंह चौहान के नेतुरत्व में स्थायी सरकार बन जायेगी
पर लगता है कि अब भाजपा के ये सियासी हथकंडे तथा भाजपा की जुगाड़ और जोड़ तोड़ तथा विधायक तोड़ने वाली नीति अब प्रकृति को भी पसंद नही है कि मध्यप्रदेश में स्थायी कांग्रेस की सरकार को गिराकर मध्यप्रदेश में भाजपा के इशारे पर एक जुगाड़ू सरकार बने।
10 दिन पहले झाबुआ विधानसभा उपचुनाव में मिली करारी हार के बाद भाजपा को एक और झटका लगा।
मामला कुछ इस प्रकार है कि मध्यप्रदेश के पवई भाजपा विधायक प्रह्लाद लोधी की विधानसभा सदस्यता खत्म हो चुकी है। विधायक लोधी समेत 12 लोगो पर आरोप था कि उन्होंने रेत खनन के खिलाफ कार्यवाही करने वाले रैपुरा तहसीलदार को बीच रोड पर रोककर मारपीट की थी।
*विशेष अदालत में चल रहे इस प्रकरण में विधायक को दोषी करार दे दिया गया।*
भाजपा के राष्ट्रीय महा सचिव कैलाश विजयवर्गीय ने जनवरी 2019 में यह तक कह दिया था कि मुझे बॉस का ऊपर से एक इशारा मिल जाये तो ये सरकार एक दिन भी नही चल सकती है। तथा अक्टोम्बर 2019 में कहा था कि झाबुआ का चुनाव जिता दो मैं मध्यप्रेदश का मुख्यमंत्री बदल दूंगा मतलब कांग्रेस की सरकार बदल दूंगा। विजयवर्गीय के इस बयान की खूब चर्चा भी चली थी कि आखिर प्रदेश की आम जनता द्वरा चुनी हुई स्थर सरकार को भाजपा असिथर कैसे कर सकती है हालाकि विजयवर्गीय के सरकार को गिराने वाले बयान से सभी बड़े केंद्रीय नेताओ ने भी किनारा कर लिया था।
अब कांग्रेस झाबुआ चुनाव जितने के बाद पार्टी 115 विधायको के साथ पूंर्ण बहुमत में आ गई है। जबकि पवई सीट रिक्त होने से विधानसभा मेंविधायको की संख्या 229 हो गई है।