सबसे ज्यादा मूल्यवान होता है चरित्र



*पूनम चतुर्वेदी*

मनुष्य के लिए सबसे ज्यादा मूल्यवान उसका"चरित्र" है । चाहे वह स्त्री हो या पुरुष दोनों के लिए चरित्र की रक्षा करना प्रथम कर्तव्य है। परन्तु आज का दुर्भाग्य है कि आज , वही व्यक्ति ज्यादा धनी है, जो अपने चरित्र को, आत्मसम्मान को बेचकर खा रहा है जो लूटकर , चोरी कर अथवा कैसे भी अनैतिक रूप से धन कमा रहा है। जो अपने आंतरिक स्थायी व बहुमूल्य "चरित्र" रूपी सम्पदा को बेचकर बाहरी अस्थाई और नाशवान धन एकत्रित कर संसार मे कथित "धनाढ्य" कहलाता है ।
जो चरित्र से गिर गया उसका संपूर्ण विकास बाधित हो जाता है । उसकी बुद्धि भ्रष्ट होकर नकारात्मक अर्थ मे खुल जाती है , जिससे वह अपने खिलाफ ही फैसले लेता है और आजीवन दुःख पाता रहता है।
उसके सकारात्मक दिशा में सोचने की , मनन करने की एवं कार्य करने की क्षमता का ह्रास हो जाता है ।
इसलिए तुम अपने चरित्र की , आत्मसम्मान की रक्षा करो। यह तुम्हारी रक्षा करेगा। यदि चरित्र व आत्मसम्मान के पालन की परीक्षा में उत्तीर्ण हो गये तो भीतर और बाहर दोनों ओर से समृद्धि ही है ,विकास ही है
.....पूनम"चतुर्वेदी