शक्तिनगर सोनभद्र रन्जीत राय की रिपोर्ट चार दिन तक चलने वाले सूर्योपासना के लोक आस्था का महापर्व छठ का रवीवार को उर्जान्चल के विभिन्न घाटो पर छठ व्रतियों ने उगते सूर्य को अर्घ्य दिया और परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की कामना की। व्रती महिलाओं ने सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद पानी पीकर उपवास खोला। महिलाएं 36 घंटे से व्रती थीं। गुरुवार को नहाय खाय से शुरू हुआ पर्व, शुक्रवार को खरना एव शनिवार को कार्तिक माह की षष्ठी पर अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया गया। कार्तिक माह की इन दोनों ही तिथियों पर सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व है।
सोनभद्र व सिन्गरौली जिले के विभिन्न छठ घाटो पर व्रती महिलाओ ने उगते सुर्यदेव को अराधना करके छठी मैया से नगरवासियों के खुशहाली एव समृद्धि के साथ व्रत पुरा किया|
महापर्व छठ शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण तरीके से संपन्न हो, इसके लिए जिला प्रशासन और शक्तिनगर पुलिस की ओर से पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। एनसीएल खाडिया परियोजना मंदिर प्रांगण व एनटीपीसी चिल्का झील मे छठ घाटो पर उमड़ा आस्था का जनसैलाब|
छठ महापर्व चार दिनों तक चलता है। नहाय खाय से इसकी शुरूआत होती है। दूसरे दिन व्रती शाम में खरना करती हैं और प्रसाद खाने के बाद उनका 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। तीसरे दिन डूबते हुए भगवान भास्कर को व्रती अर्घ्य देती हैं। चौथे और अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ महापर्व संपन्न हो जाता है। व्रती गंगाजल या पवित्र नदियों का जल पीकर 36 घंटे का उपवास तोड़ती हैं।
ऐसी मान्यता है छठ व्रत को करने से स्कंद माता व कुमार कार्तिकेय प्रसन्न होते हैं। पुराणों में कहा गया है कि षष्ठी देवी यानी छठी मइया ब्रह्माजी की मानस पुत्री है जिनका नाम देवसेना है। देवसेना का विवाह भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिकेय के साथ हुआ है। स्कंद कुमार कार्तिकेय का दूसरा नाम है। कार्तिकेय के साथ अंक 6 बहुत ही अद्भुत संयोग है। इनका जन्म षष्ठी तिथि को हुआ था। इनके मुख भी छह है। इनका पालन पोषण भी 6 कृतिकाओं ने मिलकर किया है। इससे इनकी माता की संख्या भी मानी जाती है। यही वजह है कि छठ पूजा से कुमार कार्तिकेय प्रसन्न होते हैं।