सी शर्मा एक के बाद एक संगठन निर्माण करना, राष्ट्रहित में उन संगठनों और कार्यकर्ताओं को प्रेरित करना और लक्ष्य प्राप्ति पर पूर्ण विश्वास, भविष्य के बारे में भी
निश्चित दिशा बताना, यह सब ठेंगड़ी जी ने किया है। पुर्नजागरण, स्वर्णयुग, विकास के शीर्ष स्थान पर पहुंचकर विश्व का नेतृत्व करने का सपना ठेंगड़ी जी ने देखा था। श्री गुरुजी के प्रति अपार श्रद्धा, विश्वास उनका प्रेरणा केंद्र था
ठाणे बैठक 1972
अक्टूबर 29 से 2 नवंबर तक ठाणे में विविध संगठन और संघ कार्यकर्ता की बैठक श्री गुरुजी ने संबोधित की थी। गुुरुजी ने यूरोप में विकसित विभिन्न मतवादों पर भाषण दिया। भाषण समाप्ति के बाद श्रीगुरुजी बोले दत्तोपंत अब तक मैंने सबकुछ ठीक कहा ?ठेंगड़ी जी ने उत्तर दिया, हमारे यहां विवाह के निमंत्रण पत्र के लिफाफे के अंदर अपरिवर्तित रहता है, सिर्फ पता और नाम बदल जाते हैं। उनके वहां लिफाफा के पता बदलने के साथ अंदर का विषय (वर—वधु का नाम) भी बदल गया। जोरदार हंसी के बाद गुरुजी बोले दत्तोपंत अपने विचारदाता हैं।
राज्यसभा सदस्य के नाते उनका विभिन्न विषयों पर भाषण सुनने के बाद प्रधानमंत्री के निकटतम लोगों ने उनसे पूछा कि आप किसका प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जनसंघ या गोलवलकर जी। उनका उत्तर था, गोलवलकर।
श्री गुरुजी, दीनदयाल, उपाध्याय और ठेंगड़ी जी के विचार एक ही तार की झंकार हैं। श्रीगुरुजी ने इस बैठक में मार्क्स के विचार के साथ सामंजस्य रखने वाले विष्णु बाबा बैरागी के नाम का उल्लेख किया था। उपस्थिति लोगों में सिर्फ ठेंगड़ी जी और बाबूराव जी पालधीकर ही बाबा बैरागी को जानते थे।इस बैठक में गुरुजी द्वारा दिए गए भाषण में देश की आर्थिक नीति के बारे में संकेत दिया गया था और उसी आधार को मानकर ठेंगड़ी जी ने कुछ व्यवहारिक बात हिन्दू अर्थशास्त्र किताब के मुख्य पृष्ठ पर उल्लेख किया।
एक दिन ठेंगड़ी जी अपने निवास स्थान 57 साउथ एवेन्यू नई दिल्ली में दोपहर को पहुंचे और अपने साथ मुझे चलने को कहा। मई महीने की कड़ी धूप में मैं बनियान पहनकर ठेंगड़ी जी के साथ निकला। आधा किलोमीटर पहले चलकर एक झोपड़ी के पास पहुंचकर, ठेंगड़ी जी के बुलाने पर मैला कपड़ा पहने एक व्यक्ति आया और उन्हें नमस्कर किया। वह उनका मोची था। आगे बढ़े तो एक परिवार मकान के बाहर आया। वह उनके धोबी थे। इसी प्रकार नाई, सफाई कर्मचारी से मिलकर पूरा साउथ एवेन्यू का चक्कर काटकर हम लोग हरि की दुकान पार कर एक पेड़ के नीचे बैठे। ठेंगड़ी जी ने बताया कि हर साल वे इन लोगों से मिलते हैं। दोपहर तीन बजे उन्होंने
नागपुर जाने के लिए रेलवे स्टेशन की तरफ प्रस्थान किया। शाम को दिल्ली विश्वविद्यालय के दो अध्यापक पहुंचे। उनमें से एक का पीएचडी के लिए लिखा गया थीसिस ठेंगड़ी जी की टेबल पर रखा था। थीसिस का शीर्षक था। "द्वंद्वात्मक वस्तुवाद और अनाशक्त योग" (Dilectical materialism vs Anashkt yoga)।
ठेंगड़ी जी को उनके थीसिस पर अपना मंत्व्य देना था। अध्यापक ने मुझसे पूछा, ठेंगड़ी जी को थीसिस को पढ़ने के लिए समय कब मिलता है ? आज यह अनुभव हो रहा है कि कर्मयोगी के नाते ठेगड़ी जी अनाशक्त भाव के जीते जागते—प्रतीक थे।
राजनेता की समय सारणी पांच साल की होती है। सामाजिक नेता की समय सारणी दस साल की होती है, लेकिन साधु—संतों की समय सारणी 100 साल की होती है। यह बात ठेंगड़ी जी ने कही थी। इसलिए ठेंगड़ी जी शब्दों को द्वारा उनको संतों के स्थान पर अधिशिष्ट करना उचित होगा, जैसे गंगा पूजा गंगाजल से ही होती है।
बम धमाका, कलकत्ता
अजय मुखर्जी और ज्योति बसु बंगाल में 1969—70 में राज कर रहे थे। इस दौरान भारतीय मजदूर संघ की कार्यसमिति की बैठक पथुरिया घाटा स्टीट, कलकत्ता में हुई। उस समय सीपीएम के कार्यकर्ताओं द्वारा भयंकर हिंसा फैलाने के कारण लोग रात्रि को बाहर जाने से डरते थे। कार्यसमिति की बैठक जहां हो रही थी वहां एक बम फेंका गया जिससे एक खिड़की ध्वस्त हो गई। दूसरे दिन मोहम्मद अली पार्क कलकत्ता में एक सार्वजनिक सभा हुई। वहां पर ठेंगड़ी जी ने भाषण द्वारा सीपीएम को चेतावनी दी कि पश्चिम बंगाल में कोई भी मजदूर संघ के कार्यकर्ता को हाथ लगाया गया तो इसका खामियाजा पूरे देश में उनको भुगतना पड़ेगा। इस चेतावनी के बाद पश्चिम बंगाल में मजदूर संघ के कार्यकर्ताओं को सीपीएम के दीर्घ अवधि के शासन में कोई परेशानी नहीं हुई।
संक्षेप में ठेंगड़ी जी के विचार
विश्व के दक्षिण भाग में बसे हुए देश सभी प्रकार के प्राकृतिक संपदा से पूर्ण होते हुए भी उत्तर के देशों द्वारा शोषित होते हैं। विश्व अर्थव्यवस्था पश्चिम द्वारा नियंत्रित होती है। यह शोषण रहित व्यवस्था न होकर बाजारवाद पर आधारित है। इसका परिवर्तन होना चाहिए। अमरीका का पूंजीवादी अर्थव्यवस्था और रूस से साम्यवादी अर्थव्यवस्था को त्यागकर एक तृतीय विकल्प भारत को प्रस्तुत करना होगा। पश्चिमी आधुनिकीकरण नहीं है। पश्चिम के मापदंडों द्वारा भारत जैसे पश्चिमी देश को तोलना सर्वथा ठीक नहीं है।
एक के बाद एक संगठन निर्माण करना, राष्ट्रहित में उन संगठनों और कार्यकर्ताओं को प्रेरित करना और लक्ष्य प्राप्ति पर पूर्ण विश्वास, भविष्य के बारे में भी निश्चित दिशा बताना, यह सब ठेंगड़ी जी ने किया है। पुर्नजागरण, स्वर्णयुग, विकास के शीर्ष स्थान पर पहुंचकर विश्व का नेतृत्व करने का सपना ठेंगड़ी जी ने देखा था। श्री गुरुजी के प्रति अपार श्रद्धा, विश्वास उनका प्रेरणा केंद्र था