जाने कैसे होती है मन की सफाई के सी शर्मा की कलम


के सी शर्मा*

_हम घर और आसपास की सफाई की बात तो कर लेते हैं लेकिन आत्मा और मन की सफाई कैसे होगी, इस पर हमारा ध्यान कम ही जाता है। आत्मा और मन की सफाई के लिए ज्ञान स्नान की जरूरत है।  बिना ज्ञान स्नान के कभी भी आत्मा और मन की सफाई नहीं हो सकती है।_

_ज्ञान स्नान का मतलब केवल वेद, ग्रंथ, धार्मिक और आध्यात्मिक पुस्तकों का पढ़ लेना नहीं है बल्कि उसे जीवन में अभ्यास कर उतारने की जरूरत है।_

_ हर वक्त अपने मन के संकल्पों पर पहरा देना पड़ेगा,उसकी ज्ञान रूपी झाड़ू   लगाकर सफाई करनी पड़ेगी तब जाकर इसकी धीरे-धीरे सफाईहोने लगेगी। जैसे-जैसे मन की सफाई होगी, आत्मा में निखारआएगा और मन स्वस्थ, खुश और शक्तिशाली होता जाएगा।_

_इसके लिए ज्ञान का सान्निध्य भी जरूरी है। जितना हम परमात्मा के सान्निध्य में रहेंगे उतनी ही जल्दी परमात्मा की शक्तिशाली किरणों से हमारी अंतरात्मा का कीचड़ सूखेगा और हमारे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन दिखने लगेगा। आत्मा और मन की सफाई के लिए ज्ञान स्नान करते रहना बेहद आवश्यक है। ज्ञान स्नान का मतलब केवल वेद, ग्रंथ, धार्मिक और आध्यत्मिक पुस्तकों को पढ़ लेना नहीं है बल्कि उसे जीवन में उतारने की जरूरत है। जब मन की सफाई होगी आत्मा में निखार  आएगा और मन स्वस्थ रहेगा।_

_विचार- जब कभी भी मन में किसी  तरह का नकारात्मक और दुर्भावना पूर्ण विचार आए तो उसे ज्ञान की कसौटी पर उतारें थोड़े धैर्य के साथ समय बिताएं।  पूरी तरह सकारात्मक सोच के साथ काम करें।_

_मन में आने वाले व्यर्थ और नकारात्मक संकल्पों का हमेशा आकलन कर अपने मन से ही दृढ़तापूर्वक संकल्प कर उस पर पाबंदियां लगाएं ताकि वह दुबारा प्रवेश ना कर सकें। जब कभी भी मन में किसी तरह का नकारात्मक और दुर्भावनापूर्ण" विचार आए तो उसे ज्ञान की कसौटी पर उतारें। थोड़े धैर्य के साथ समय बिताएं। पूरी तरह सकारात्मक सोच के साथ काम करें._

_ कर्मों पर निगरानी रखते हुए  जब हम कर्म करेंगे तो व्यर्थ व बुरी चीजें मन में इकट्ठी नहीं हो पाएंगी। इससे धीरे-धीरे आत्मा शुद्ध, सात्विक, आनन्दमयी और सुखदायी बन जाएगी। सकारात्मक दृष्टिकोण बन जाएगा।_

_सद्गुणों की सुगंध हर किसी को मूल्यों से सुगन्धित करेगी। परमात्मा शिव की शक्तियां मन में प्रवेश होने लगेगी। सफाई- मन की सफाई के लिए_
_ध्यान,_
_राजयोग,_
_ ज्ञान का मनन,_
_चिंतन और_
_साधना  पर ध्यान देना होगा। जितनी खतरनाक बाहर की गंदगी है उससे ज्यादा  आंतरिक गंदगी है, जो जीवन को बर्बाद कर देती है। मनुष्य का यह प्रयास आत्मा की मलिनता को साफ कर देगा। जब मलिनता समाप्त हो जाएगी तो उससे  सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास होने लगेगा। जब व्यक्ति देखेगा, बोलेगा, सोचेगा तो उसका दायरा सीमित न होकर विशाल  हो जाएगा। हर कोई अपना लगेगा, सबका भला और शुभ सोचने की मशीनरी पूर्ण रूप से सही दिशा में काम करेगी।_

_ज्ञान का तीसरा नेत्र खुल जाएगा और जीवन में सुख और शांति का  विस्तार होगा। मन की सफाई के लिए ध्यान, राजयोग, ज्ञान का मनन, चिंतन और साधना पर ध्यान देना होगा। सही बात यह है कि जितनी खतरनाक बाहर की गंदगी है उससे ज्यादा आंतरिक गंदगी है,जो पूरे जीवन को बर्बाद कदेतहै।_