दिल्ली मे अधिवक्ता बन्धुओं ने पुलिस वालो को उन्ही की प्रणाली से रास्ते पर लाने हेतु जो प्रयास किया है उसके लिये मेरी तरफ से अधिवक्ता समाज को ढेरो धन्यवाद प्रेषित है और मेरी मांग है कि वैश्विक आतंकवादी वह वकील जो कोर्ट मे कागज और पेन जैसी खतरनाक वस्तुओ को लेकर जाता था और लिखने-पढने का आदतन अपराधी था को दलाली की पर्याय, गरीबो का शोषण करने जैसा पुण्य कर्म करने वाली पुलिस, जिसकी बोली ही गरीबो को मां-बहन की गाली देकर शुरू होती है, जो रुपये के लिये अमीरो के बडे से बडे अपराध छुपा देती है, माफिया पैदा करने जैसे बडे बडे सत्कर्म करने वाली पुलिस के जिस अधिकारी ने सीधे अधिवक्ता के छाती पर गोली चलाई उसे इण्डिया गेट पर फांसी दी जाये और बाकि दोषी पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर आपराधिक मुकदमे दर्ज किये जाये और कोई आदेश न आने तक इन दोषी पुलिसकर्मियों को बर्खास्त रखा जाये तथा एडवोकेट राईट प्रोटेक्शन एक्ट बनाया जाये।
साथियो और इस पोस्ट को पढने वाले मेरे शुभचिंतकों मै स्वयं अहिंसावादी हुं और हिंसा का धुर विरोधी हुं परन्तु भारतीय पुलिस एक ऐसी कुत्ते की दम है जिसके आगे अहिंसा का कोई स्थान नही है, अहिंसा का रास्ता अपना कर इनसे लडने वाले सारे लोग आज इनकी आईपीसी की धाराओ के खिलाफ कुछ दिन का कारावास काटने के बाद आज भी मुकदमे लड रहे है और इन पुलिस वालो का कुछ नही बिगाड पाये नुकसान हुआ तो केवल पुलिस की कार्यप्रणाली के विरूध्द आवाज उठाने वाले लोगो का और पुलिस की कार्यप्रणाली आज भी जस की तस है, इसलिये आज जरुरत है पुलिस को समझाने वाले इन अधिवक्ताओ का साथ देने की। यदि आज हम अधिवक्ता समाज के साथ खडे नही होंगे तो हमे न्याय की उम्मीद छोडनी होगी क्योकि धन बल अथवा किसी के प्रभाव के कारण कल यही पुलिस जब एकतरफा आप पर कार्यवाही करेगी तो उस पुलिस को यह भय नही होगा कि उसके लिये भी समस्या खडी हो सकती विधि विरूध्द कार्यवाही करने पर, आपकी पैरवी करने वाले अधिवक्ता को कही भी किसी माफिया, प्रभावी व्यक्ति के कारण आपराधिक मुकदमे मे फंसाकर आपकी पैरवी छोडने पर मजबुर किया जा सकता है, कल जब आप पुलिस की प्रणाली जो जगजाहिर है कि कीतनी बुरी है से प्रताड़ित होकर न्यायालय जायेंगे तो पुलिस के मन मे न्यायालय और अधिवक्ता का भय नही होगा या कहे तो आज अधिवक्ता समाज का झुक जाना हमारे लिये न्याय की उम्मीद खत्म होना होगा इसलिए आज इस लडाई मे अधिवक्ता बन्धुओं का साथ दे।
(अंकुश दुबे)