भोपाल। जिस तरीके से भाजपा विधायक प्रहलाद लोधी की सदस्यता 0 की गई, मध्य प्रदेश के 12 मंत्री और 47 विधायकों की सदस्यता खतरे में है। इन 12 मंत्रियों में विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति का नाम भी शामिल है जिन्होंने विधायक की सदस्यता समाप्त की। कमलनाथ सरकार का कार्यकाल पूर्ण होने से पहले इनकी सदस्यता समाप्त हो सकती है क्योंकि इन सभी के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं और विशेष न्यायालय में सुनवाई चल रही है। बताने की जरूरत नहीं कि इन सभी मामलों पर फैसला सरकार के कार्यकाल आने से पहले हो जाएगा। यदि सजा हुई तो सदस्यता भी समाप्त होगी।
नेशनल इलेक्शन वॉच के डेटा के मुताबिक विधानसभा चुनाव के दौरान विधायकों की ओर से दिए गए हलफनामों के मुताबिक *मध्य प्रदेश में 93 ऐसे विधायक हैं जिनके खिलाफ क्रिमिनल केस चल रहे हैं, *जबकि 47 ऐसे विधायक हैं जिन पर गंभीर क्रिमिनल केस दर्ज हैं*। खास बात ये है कि इनमें बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों के कई बड़े नेता शामिल हैं।
*इन मंत्रियों के खिलाफ अपराधिक मामले*
गृहमंत्री बाला बच्चन, मंत्री हर्ष यादव, इमरती देवी, जीतू पटवारी, लखन घनघोरिया, लाखन सिंह यादव, स्पीकर एनपी प्रजापति, प्रद्युम्न सिंह तोमर, तरुण भनोत, तुलसी सिलावट, पीसी शर्मा, ब्रजेंद्र सिंह राठौर के खिलाफ भी क्रिमिनल केस हैं। खाद्य मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के खिलाफ 20 और कानून मंत्री पी सीशर्मा के खिलाफ 14 क्रिमिनल केस हैं।
इन कांग्रेसी विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले
भोपाल मध्य से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद।
मंत्री जीतू पटवारी के रिश्तेदार एवं विधायक कुणाल चौधरी।
आदिवासी युवा नेता एवं कांग्रेस विधायक हीरालाल अलावा।
*भाजपा विधायकों के खिलाफ *आपराधिक मामले*
*पूर्व बीजेपी मंत्री गौरीशंकर बिसेन*
*बीजेपी विधायक आकाश विजयवर्गीय*
बीजेपी विधायक मोहन यादव, जालम सिंह पटेल, कमल पटेल, पारस जैन, राजेंद्र शुक्ल, रामेश्वर शर्मा, संजय पाठक, सुरेंद्र पटवा समेत कई और विधायकों पर भी क्रिमिनल केस है।
*सबसे ज्यादा 26 क्रिमिनल केस बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटवा के खिलाफ हैं*
*मामला क्या है*
पन्ना जिले की पवई विधानसभा से विधायक एवं भाजपा नेता प्रह्लाद सिंह लोधी को भोपाल की विशेष अदालत में तहसीलदार के साथ मारपीट के मामले में 2 साल की सजा सुनाई थी। हालांकि कोर्ट में अपील करने का मौका दिया था लेकिन विधानसभा सचिवालय ने अपील की अवधि पूर्ण होने से पहले विधायक प्रह्लाद सिंह लोधी की सदस्यता 0 कर दी। हाईकोर्ट ने प्रहलाद लोधी को राहत दे दी है लेकिन विधानसभा सचिवालय ने अब तक उनकी शून्य हो चुकी सदस्यता पर कोई कार्यवाही नहीं की है। इसके बाद आंकड़े जुटाए जा रहे हैं कि अगले 5 साल में कितने विधायक और मंत्रियों की सदस्यता खतरे में है।