Tap news india- गांधी जयंती पर विशेष
आज देशभर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती मनाई जा रही है पूरे देश में आज 2 अक्टूबर गांधी जयंती की छुट्टी भी है लेकिन गांधी जी ने जो हमें सत्य नैतिकता और मूल्यों के बारे ने हमें शिक्षा दी है उसको हमने अपने जीवन मे कितना उतारा है यह सोचनीय है आजादी के बाद हमने एक लंबी यात्रा तय कर ली है लेकिन आज वह एक बौद्धिक चिंतन का विषय बन कर रह गए हैं जहां पर उनके आदर्शों को भुला दिया गया है और उनकी शिक्षाओं को चयनात्मक ढंग से याद किया जाता है अगर आप अपने आसपास नजर दौड़ाएंगे तो आपको पता चल जाएगा कि आप स्वतंत्रता के पश्चात भी भारत में गांधी के सपने से कितनी दूर है शायद कम ही लोगों को पता होगा कि गांधीजी हमेशा ही शासन में तानाशाह के विरूद्ध थे किंतु दुर्भाग्य है कि स्वतंत्रता के बाद भारत में गांधीजी की सलाह पर ध्यान नहीं दिया गया और ना ही उनके सादा जीवन उच्च विचार के मूल्य प्रणाली के आदर्शों का पालन किया गया है यहां एक राजनीतिक सामाजिक और नैतिक मूल्यों से दिवालिया समाज से इस प्रक्रिया की अपेक्षा कैसे की जा सकती है आज हमारे नेता कुर्सी और पैसे से चिपके हुए हैं जबकि बेरोजगार युवा हताशा में है मध्यमवर्ग निराश है विभिन्न जातियों में ध्रुवीकरण बना हुआ है यदि अहिंसा के कारण महात्मा गांधी को विश्व भर में जाना जाता है तो आज हमारे समाज में हिंसा सार्वभौमिक सत्य बन गया है बापू की शिक्षाओं को केवल दिखावा बना दिया गया है उनका स्मरण केवल उनकी जयंती और शहीदी दिवस पर चुनाव के दौरान किया जाता है और इसका कारण हमारे संकीर्ण मानसिकता के नेता है एक जमाना था कि गांधी के उनके करो या मरो के नारे पर सारा देश एकजुट हो गया था किंतु आज शक्ति प्रदर्शन के लिए नेताओं को किराए की भीड़ मंगानी पड़ती है और घमंडी नेता आज इसी को अपनी उपलब्धि समझते हैं आज के कागजी शेरों से हम और अपेक्षा भी क्या कर सकते हैं क्या यह दुखद नहीं है याद गांधी जयंती आतंक हिंसा अपराध भ्रष्टाचार उदासीनता तथा धनबल बाहुबल और माफिया के माहौल में मनाई जा रही है जिससे महात्मा गांधी हमेशा ही नफरत करते थे ऐसी हास्यास्पद स्थिति बन गई है कि लगता है कि गांधीजी जैसे किसी दूसरे ग्रह से आए थे गांधी जी ने कहा था कि मंत्री जनता के सेवक होते हैं उन्हें पद से चिपके नहीं रहना चाहिए यह पद कांटो के ताज होने चाहिए ना की प्रसिद्धि के ताज किंतु उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि हमारे नए महाराजा प्रभावशाली मंत्री और सांसद अपने पद सत्ता और उससे जुड़े लाभ को हल्के में नहीं पकड़ेंगे उनसे चिपके रहेंगे और उनकी मानसिकता जी हुजूर और घमंडी की रहेगी गांधी जी ने एक किताब में लिखा था कि जिस सत्य का मैं दावा करता हूं वह पर्वतों से भी पुराना है किंतु शायद उन्हें यह अहसास नहीं था कि पहाड़ों को ध्वस्त किया जा सकता है सत्य को मिटाया जा सकता है और उसका एकमात्र लक्ष्य आजकल गद्दी रखो पैसा पकड़ो है हाथ किसी भी कीमत पर सत्ता और पैसा देश और लोकतंत्र जाए भाड़ में आज गांधीजी को देश की जनता किसी भी हाल में भूलना नहीं जाती है आज संपूर्ण विश्व में जनता एक बेहतर विश्व के निर्माण के लिए उन्हें मार्गदर्शक के रूप में देख रही है आज नेता उनकी शिक्षाओं के साथ खिलवाड़ भले कर रहे हो लेकिन कुछ तबका उनसे मुकाबला करने के लिए भी तैयार खड़ा है क्योंकि आज हमारी प्रवृत्ति अनैतिक और भ्रष्ट हो गई है इशलिये देश में गरीबी व्यापक पैमाने पर है गांधी जी के आदर्शों के लिए किसके पास समय है क्योंकि नेताओं ने हमें रोटी कपड़ा और मकान के लिए संघर्ष करने के लिए मजबूर कर दिया है आज गांधी जी नेता कहां है आज जनता का जनता के लिए जनता से नेता कहा है कुल मिलाकर हमारे राजनेता महात्मा गांधी जी की कसमें तो खाते हैं किंतु उनकी शिक्षाओं पर ध्यान नहीं देते इसके अलावा भी बहुत सारे पाप करते हैं जिससे गांधी जी हमेशा नफरत करते थे लेकिन नेता जी मंच और सभाओं में जाकर भाषण बड़े अच्छे-अच्छे देते हैं जैसे कि गांधीजी के सबसे बड़े चिंतक वही हैं गांधी जी ने कहा था कि मैं नहीं चाहता कि मेरे घर पर चारों तरफ से दीवारे बनी हो और मेरी खिड़की पर बेहतरीन पर्दे और बेहतरीन दरवाजे लगे हो मैं हवा में चलना चाहता हूं मेरा धर्म बड़ा नहीं है आज मैं आपका नेता हूं किंतु कल आप मुझे जेल में भी बंद कर सकते हैं क्योंकि यदि आप रामराज नहीं लाओगे तो मैं आपकी आलोचना करूंगा ही करूँगा ।
आज देशभर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती मनाई जा रही है पूरे देश में आज 2 अक्टूबर गांधी जयंती की छुट्टी भी है लेकिन गांधी जी ने जो हमें सत्य नैतिकता और मूल्यों के बारे ने हमें शिक्षा दी है उसको हमने अपने जीवन मे कितना उतारा है यह सोचनीय है आजादी के बाद हमने एक लंबी यात्रा तय कर ली है लेकिन आज वह एक बौद्धिक चिंतन का विषय बन कर रह गए हैं जहां पर उनके आदर्शों को भुला दिया गया है और उनकी शिक्षाओं को चयनात्मक ढंग से याद किया जाता है अगर आप अपने आसपास नजर दौड़ाएंगे तो आपको पता चल जाएगा कि आप स्वतंत्रता के पश्चात भी भारत में गांधी के सपने से कितनी दूर है शायद कम ही लोगों को पता होगा कि गांधीजी हमेशा ही शासन में तानाशाह के विरूद्ध थे किंतु दुर्भाग्य है कि स्वतंत्रता के बाद भारत में गांधीजी की सलाह पर ध्यान नहीं दिया गया और ना ही उनके सादा जीवन उच्च विचार के मूल्य प्रणाली के आदर्शों का पालन किया गया है यहां एक राजनीतिक सामाजिक और नैतिक मूल्यों से दिवालिया समाज से इस प्रक्रिया की अपेक्षा कैसे की जा सकती है आज हमारे नेता कुर्सी और पैसे से चिपके हुए हैं जबकि बेरोजगार युवा हताशा में है मध्यमवर्ग निराश है विभिन्न जातियों में ध्रुवीकरण बना हुआ है यदि अहिंसा के कारण महात्मा गांधी को विश्व भर में जाना जाता है तो आज हमारे समाज में हिंसा सार्वभौमिक सत्य बन गया है बापू की शिक्षाओं को केवल दिखावा बना दिया गया है उनका स्मरण केवल उनकी जयंती और शहीदी दिवस पर चुनाव के दौरान किया जाता है और इसका कारण हमारे संकीर्ण मानसिकता के नेता है एक जमाना था कि गांधी के उनके करो या मरो के नारे पर सारा देश एकजुट हो गया था किंतु आज शक्ति प्रदर्शन के लिए नेताओं को किराए की भीड़ मंगानी पड़ती है और घमंडी नेता आज इसी को अपनी उपलब्धि समझते हैं आज के कागजी शेरों से हम और अपेक्षा भी क्या कर सकते हैं क्या यह दुखद नहीं है याद गांधी जयंती आतंक हिंसा अपराध भ्रष्टाचार उदासीनता तथा धनबल बाहुबल और माफिया के माहौल में मनाई जा रही है जिससे महात्मा गांधी हमेशा ही नफरत करते थे ऐसी हास्यास्पद स्थिति बन गई है कि लगता है कि गांधीजी जैसे किसी दूसरे ग्रह से आए थे गांधी जी ने कहा था कि मंत्री जनता के सेवक होते हैं उन्हें पद से चिपके नहीं रहना चाहिए यह पद कांटो के ताज होने चाहिए ना की प्रसिद्धि के ताज किंतु उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि हमारे नए महाराजा प्रभावशाली मंत्री और सांसद अपने पद सत्ता और उससे जुड़े लाभ को हल्के में नहीं पकड़ेंगे उनसे चिपके रहेंगे और उनकी मानसिकता जी हुजूर और घमंडी की रहेगी गांधी जी ने एक किताब में लिखा था कि जिस सत्य का मैं दावा करता हूं वह पर्वतों से भी पुराना है किंतु शायद उन्हें यह अहसास नहीं था कि पहाड़ों को ध्वस्त किया जा सकता है सत्य को मिटाया जा सकता है और उसका एकमात्र लक्ष्य आजकल गद्दी रखो पैसा पकड़ो है हाथ किसी भी कीमत पर सत्ता और पैसा देश और लोकतंत्र जाए भाड़ में आज गांधीजी को देश की जनता किसी भी हाल में भूलना नहीं जाती है आज संपूर्ण विश्व में जनता एक बेहतर विश्व के निर्माण के लिए उन्हें मार्गदर्शक के रूप में देख रही है आज नेता उनकी शिक्षाओं के साथ खिलवाड़ भले कर रहे हो लेकिन कुछ तबका उनसे मुकाबला करने के लिए भी तैयार खड़ा है क्योंकि आज हमारी प्रवृत्ति अनैतिक और भ्रष्ट हो गई है इशलिये देश में गरीबी व्यापक पैमाने पर है गांधी जी के आदर्शों के लिए किसके पास समय है क्योंकि नेताओं ने हमें रोटी कपड़ा और मकान के लिए संघर्ष करने के लिए मजबूर कर दिया है आज गांधी जी नेता कहां है आज जनता का जनता के लिए जनता से नेता कहा है कुल मिलाकर हमारे राजनेता महात्मा गांधी जी की कसमें तो खाते हैं किंतु उनकी शिक्षाओं पर ध्यान नहीं देते इसके अलावा भी बहुत सारे पाप करते हैं जिससे गांधी जी हमेशा नफरत करते थे लेकिन नेता जी मंच और सभाओं में जाकर भाषण बड़े अच्छे-अच्छे देते हैं जैसे कि गांधीजी के सबसे बड़े चिंतक वही हैं गांधी जी ने कहा था कि मैं नहीं चाहता कि मेरे घर पर चारों तरफ से दीवारे बनी हो और मेरी खिड़की पर बेहतरीन पर्दे और बेहतरीन दरवाजे लगे हो मैं हवा में चलना चाहता हूं मेरा धर्म बड़ा नहीं है आज मैं आपका नेता हूं किंतु कल आप मुझे जेल में भी बंद कर सकते हैं क्योंकि यदि आप रामराज नहीं लाओगे तो मैं आपकी आलोचना करूंगा ही करूँगा ।
पूनम कौशिक