दुद्धी/सोनभद्र- आज जिले में जगह जगह भारी भरकम रावण के पुतले का दहन आतिशबाजी लगे तीर से तो कर दिया गया ,राम रुपी किरेदार ने युद्ध पश्चात आज रावण के नाभि में अग्नि बाण मार कर उसका अंत कर दिया।जैसे ही रावण धुं धुं कर जलने लगा लोग तालियां बजाकर खुशियां जाहिर करने लगे और एक दूसरे के गले मिल दशहरे की बधाइयां देने लगे।
लेकिन दशहरे के मेले में जलता हुआ रावण जलता हआ मेले में आये हर एक से सिर्फ यही पूछ रहा था ‘तुम में से कोई राम है क्या’? हमने आज दशहरे के मेले मे रावण के पुतला जलाकर यह तो जरूर महसूस कर लिया कि असत्य पर सत्य की जीत हुई ,लेकिन क्या आज जो हमारे अंदर रावण जो बुराइयों के रूप में जिंदा है , उसका अंत कैसे होगा?
हम पुरषोत्तम राम के आदर्शों को अनुसरण कर अपने जीवन को सार्थक क्यों नही बनाते।हमें अपने अंदर मौजूद बुराइयां रावण के पुतले के दहन के समय सिर्फ इसी चीज का अहसास कराती रही कि जैसे एक रावण के पुतले के दहन देख ठीक उसी प्रकार निहार रहे थे जैसे एक रावण दूसरे रावण के अंत पर खुशियां जाहिर कर रहा हो।जब तक हम अपने अंदर की बुराइयों को त्याग प्रभु श्रीराम के आदर्शों को अनुसरण नही करते तब तक हम एक रावण के पुतले जलने पर खुशियां भी जाहिर करने का अधिकार नही है।आइए इस दशहरे से एक प्रतिज्ञा करें कि कल से या अभी से ही अपने भीतर से एक – एक कर बुराइयों का परित्याग करें और आगामी दशहरे तक अपने अंदर के रावण तथा बुराई के प्रतीक रावण का अंत करेंगे।