वशिष्ठ चौबे /लखनऊ विश्वविद्यालय के खातों में सेंध लगाकर चेक क्लोनिंग के जरिए 1.09 करोड़ रुपये उड़ाने वाले जालसाजों को पुलिस ने दिल्ली और पटना से दबोच लिया है। पुलिस गिरोह के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दे रही है। इसके साथ ही पकड़े गए जालसाजों का लविवि कनेक्शन खंगाल रही है। इंस्पेक्टर हसनगंज धीरेंद्र प्रताप कुशवाहा ने इसकी पुष्टि की। हालांकि, पकड़े गए लोगों की संख्या और उनका नाम जारी नहीं किया।
लखनऊ विश्वविद्यालय के खातों से 1.09 करोड़ उड़ाने वाले जालसाज चढ़े हत्थे
इन फर्मों के खाते में डाले गए थे रुपये
फर्म का नाम रुपये
मेसर्स केके कंस्ट्रक्शन 999570
मेसर्स दिव्या इलेक्ट्रिकल्स - 997864
मेसर्स दिव्या इलेक्ट्रिकल्स - 998570
मेसर्स दिव्या इलेक्ट्रिकल्स - 998620
मेसर्स दिव्या इलेक्ट्रिकल्स - 998775
मेसर्स दिव्या इलेक्ट्रिकल्स - 999695
मेसर्स शाह एजेंसी - 996595
मेसर्स रीविश्वा - 998360
मेसर्स शाह एजेंसी - 998210
मेसर्स मीना एंड संस - 998566
मेसर्स मां वैष्णो इंटरप्राइजेज - 998110
जालसाजों ने लविवि के यूको बैंक के खाते की वर्ष 2000 में जारी हुई चेक बुक की 11 चेक की क्लोनिंग कर 1.09 करोड़ रुपये निकाले थे। उसके बाद छह फर्मों के खाते में सारा रुपया ट्रांसफर किया। जालसाजों ने जिन खातों में रुपया ट्रांसफर किया था, वे खाते दिल्ली और पटना स्थित पंजाब बैंक, इंडियन बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और केनरा बैंक के थे। कुलपति ने जानकारी दी कि भुगतान करने में वर्ष 2000 की चेक जो पहले इश्यू हो चुकी थी उनका इस्तेमाल किया गया। पुलिस के मुताबिक जालसाजों ने चेक की क्लोनिंग कर वारदात को अंजाम दिया।चेक का भुगतान पंजाब बैंक, इंडियन बैंक, यूनियन बैंक आफ इंडिया और केनरा बैंक से किया गया। ये सभी क्लोन चेक यूको बैंक की थीं। वीसी प्रो. एसपी सिंह जांच के लिए इंटरनल कमेटी गठित कर जल्द से जल्द पूरे प्रकरण की जांच कराने के निर्देश दिए।इस मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन की इसमें बड़ी लापरवाही उजागर हुई थी। एक साल तक यूनिवर्सिटी के खाते से पैसे निकाले जाते रहे, लेकिन प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी। वहीं मामला उजागर होने पर प्रेस वार्ता करके एलयू प्रशासन ने अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की थी।