भाजपा का मानना है कि शिवसेना सरकार बनाने के लिये कांग्रेस और एनसीपी से कभी भी समर्थन नही लेगी इस लिये ही भाजपा ने अपने तेवर दिखाते हुवे बयान में कहा है कि शेर भूख रहना पसंद करता है पर शेर कभी भी घांस नही खाता है मतलब शिव सेना की मजबूरी सिर्फ और सिर्फ भाजपा ही है। लगता है इसी कारण भाजपा ने शिवसेना को चेतावनी के लहजे में कहा है कि शेर कभी घांस नही खाता मतलब कुछ भी हो चाहे भाजपा शिव सेना को मुख्यमंत्री पद नही देगी तो भी शिव सेना मजबूर होकर भाजपा को ही समर्थन देगी।
पर लगता है कि भाजपा भूल गई है कि कर्नाटक में कुमार स्वामी की सरकार कांग्रेस के सपोर्ट से बन सकती है और सपोर्ट से झाड़खंड में मधुकोड़ा की सरकार बन सकती है तथा 1979 में केंद्र में चरणसिंह की सरकार पूर्व प्रधानमंत्री स्व इंदिरागांधी के सपोर्ट से बन सकती हैं।
साथ ही 44 सांसदों वाली चन्द्रशेखर की पार्टी की पूर्व प्रधानमंत्री स्व राजीव गांधी के समर्थन से सरकार बन सकती है तो एनसीपी ओर कांग्रेस के समर्थन से 56 विधायको वाली शिवसेना की सरकार क्यो नही बन सकती है।
वैसे भी शिवसेना का एक लक्ष्य यह भी है कि वो बाला साहिब ठाकरे के उस सपने को साकार करे जो बाला साहिब ठाकरे का सपना था कि ठाकरे परिवार का सदस्य माहाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बने शिवसेना का मानना है यह वही अवसर है जब बाला साहिब ठाकरे के सपनो को साकार किया जा सकता है। इस लिये संभव नही कि महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार बने और भाजपा का मुख्यमंत्री बन सके।
भाजपा और शिवसेना का विवाद सिर्फ सरकार बनाना ही नही है बल्कि शिव सेना जो माहाराष्ट्र की कभी सबसे बड़ी पार्टी हुवा करती थी उसे अब सबसे छोटी पार्टी भी भाजपा ने ही बनाया है शिवसेना का मानना है कि भाजपा के बढ़ रहे जनाधार को रोकने के लिये सरकार बनाना सबसे अच्छा रास्ता है। क्योंकि सरकार में बैठकर ही भाजपा के जनाधार को कम किया जा सकता है और खुद के जनाधार को बढ़ाया जा सकता है वैसे भी जितने भी मतदाता आज भाजपा के साथ है वो कभी शिवसेना के साथ हुवा करते थे इस घाटे को पूरा करने के लिये शिवसेना का भाजपा से राजीनामा करना संभव नही लगता है।
आज शाम 6 बजे शिवसेना राज्यपाल को सरकार बनाने के लिये शिव सेना के विधायको के समर्थन और सहयोगियों के समर्थन की चिट्ठी सौंप सकती है। इसका मतलब साफ है शिवसेना अब कांग्रेस और एनसीपी के सपोर्ट से सरकार बना सकती हैं।
लगता है आदित्य नही उद्धव ठाकरे बन सकते है माहाराष्ट्र के मुख्यमंत्री क्योकि जिस तरीके से माहाराष्ट्र का राजनीतिक घटनाक्रम बदल रहा है और एकनाथ शिंदे को शिवसेना ने विधायक दल का नेता चुना लिया है इससे साफ नजर आता है कि उद्दव ठाकरे ही माहाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनेंगे।
शिवसेना को भी लगता है कि इस बार अगर 50-50 के फार्मूले पर जो कि देश मे पब्लिश हो चुका है से पीछे हटे तो आने वाले समय मे भाजपा का फायदा ज्यादा ओर शिवसेना का नुकसान ज्यादा होगा क्योकि सामना में भी लगातार प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा की खिलाफत शिवसेना करती ही आ रही है और अब अगर शिव सेना फिर भाजपा के सामने झुक गई तो शिवसेना की किरकिरी होना तय है। इस लिये संभव नही कि माहाराष्ट्र में भाजपा की सरकार बने।