नोएडा, केन्द्र की मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की विनाशकारी नीतियों के कारण देश भयंकर मंदी के दौर से गुजर रहा है जिसके चलते लाखों लोगों के रोजगार खत्म हो गए,मंहगाई चरम सीमा पर पहुंच गई है,सरकार उद्योगपतियों के करोड़ों रुपए का कर्ज माफ कर दिया लेकिन मजदूरों और किसानों को कोई राहत उपलब्ध नहीं कराई जा रही है, सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ वामपंथी पार्टियों के आह्वान पर देश मे 10 से 16 अक्टूबर 2019 तक अभियान और आन्दोलनात्मक कार्रवाई आयोजित की जा रही है उक्त अभियान के तहत नोएडा गाजियाबाद दिल्ली एनसीआर मे सीपीआईएम और अन्य वामपंथी पार्टिया 16 अक्टूबर 2019 को संसद के समक्ष विशाल धरना प्रदर्शन करेंगी। संसद के समक्ष होने वाले प्रदर्शन की तैयारी में शुक्रवार 11 अक्टूबर 2019 को नोएडा शहर में मज़दूर बस्तियों और औद्योगिक क्षेत्रों में माकपा नेता मदन प्रसाद, गंगेश्वर दत्त शर्मा, भरत डेंजर, भीखू प्रसाद, रामसागर आदि के नेतृत्व में जनसंपर्क पर पर्चा वितरण किया और 10 से 16 अक्टूबर तक चलने वाले आंदोलन के मुद्दों को रेखांकित करते हुए बताया कि
देश की अर्थव्यवस्था आज गंभीर संकट से गुजर रही है। मोदी सरकार के फर्जी आंकड़ों और मंत्रियों के दावों से भी यह सच्चाई छिपाए न छिप रही है।
क्या है यह आर्थिक संकट?
ऽ देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) पिछले 5 साल के सबसे निचले स्तर पर है। देष की 8.42 लाख कंपनियों में से 43 फीसदी पिछले 2 साल से घाटे में चल रही हैं, जबकि करीब 10 फीसदी कंपनियों का मुनाफा शून्य रहा है। जो कंपनियां मुनाफा कमा भी रही हैं वो कोई खास निवेश नही कर रही हैं।
ऽ गाड़ियों और कपड़ों से लेकर तेल, साबून और 5 रू0 की पार्ले-जी बिस्कुट तक की बिक्री में भारी गिरावट हो रही है।
ऽ नए रोज़गार पैदा करने की बात तो दूर बड़ी संख्या में छंटनियां हो रही हैं।
ऽ मज़दूर वर्ग की हालत तो पहले ही पस्त थी, आज मध्यम वर्गीय परिवारों तक के लिए घर चलाना मुष्किल होता जा रहा है। सब्जी-प्याज से लेकर खाने के सामान और आम जरूरत की चीजों में महंगाई बेलगाम है।
क्यों है यह आर्थिक संकट?
ऽ आज देष में गहरे होते आर्थिक संकट के जड़ में है मांग की कमी। और, यह मांग की कमी इसलिए नहीं है कि लोग चीजें खरीदना नहीं चाहते, असल में लोगों के पास खरीदने के लिए पैसे ही नहीं हैं।
ऽ लोगों के पास खरीदने के लिए पैसे इसलिए नहीं हैं क्योंकि उनकी आमदनी में भारी कमी हुई है। यह संकट नवउदारवादी आर्थिक नीतियों का सीधा नतीजा है। श्रम-कानून को लगभग समाप्त कर मोदी सरकार लगातार उत्पादन मूल्यों में मजदूरी के हिस्से को कम करती जा रही है। इससे अमीर और गरीब के बीच की खाई में भयंकर बढ़ोतरी हो रही है। देष आर्थिक मंदी की चपेट में है। नोटबंदी तथा जीएसटी जैसे कदमों ने भारत में आर्थिक संकट को और अधिक विकराल बना दिया है। सरकार की इन्हीं नीतियों के चलते खेती-किसानी चैपट है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था का हाल और अधिक खराब है।
मोदी सरकार संकट से निकलने के लिए क्या कर रही है?
ऽ जनता की खरीद क्षमता बढ़ाने के बजाय मोदी सरकार पूंजीपतियों को ही एक के बाद एक सौगातें दे रही है।
ऽ जहां रियल एस्टेट और एक्सपोर्ट क्षेत्र को पहले ही करों में 70,000 करोड़ रूपए की माफी दे दी गई थी, वहीं कारपोरेट करों की दरों में 10 फीसदी की कमी कर दी गई, जिससे बड़े पूंजीपतियों को 1 लाख 45 हजार करोड़ रूपए का फायदा होगा।
ऽ रिजर्व बैंक से निकाल 1 लाख 76 हजार करोड़ रूपए को¨भी कारपोरेटों की झोली में डाला जा रहा है।
इस संकट से जनता को राहत कैसे मिल सकती है?
इस संकट से निकलने के लिए निम्न कदम उठाए जाने चाहिए:
- रोजगार पैदा करने के लिए सार्वजनिक निवेश को बढ़ाया जाए। जब तक यह नहीं होता तब तक केंद्र सरकार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता दे।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं षिक्षा के क्षेत्र में सरकारी निवेश को बढ़ाया जाए।
- सरकार 18,000 प्रति माह न्यूनतम वेतन सुनिश्चित करे।
- सरकार नौकरियों से निकाले गये कामगारों को जीने लायक मासिक मजदूरी सुनिश्चित कराए।
- श्रम-कानूनों में मजदूर विरोधी बदलाव वापस लो।
- सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण बंद करो। रक्षा और कोयला क्षेत्रों में 100 प्रतिशत एफडीआई को वापस लो। बीएसएनएल, आयुध कारखानों, भारतीय रेलवे, एयर इंडिया आदि का बड़े पैमाने पर निजीकरण बंद करो।
- मनरेगा के लिए आवंटन को बढ़ाया जाए ताकि पिछले बकाए का भुगतान सुनिश्चित किया जा सके और निर्धारित न्यूनतम मजदूरी पर न्यूनतम 200 दिनों का काम मुहैया कराया जा सके।
- कृषि संकट को दूर करने के लिए किसानों के कर्ज की एकमुश्त ऋण माफी की जाए, और कृषि उपज की लागतों की तुलना में न्यूनतम समर्थन मूल्य डेढ़ गुना अधिक की घोषणा की जाए और उसे लागू किया जाए।
- न्यूनतम मासिक वृद्धावस्था/विधवा पेंशन को बढ़ाकर 3000 रुपया किया जाए।
गहराते आर्थिक संकट से ध्यान भटकाने के लिए मोदी सरकार उग्र-राष्टवाद और साम्प्रदायिक उन्माद के जरिए लोगों की भावनाओं को भड़काने का काम कर रही है। कभी सर्जिकल स्ट्राईक, कभी बालाकोट तो कभी कष्मीर के नाम पर जनता को गुमराह करने का काम किया जा रहा है। इन सबके पीछे मकसद महज ध्यान भटकाना भर नहीं है, पूरा एजेंडा ही है मेहनतकष जनता की एकता को तोड़ना, जिस से आर्थिक हमलों के खिलाफ जनता की लड़ाई कमजोर हो सके। मोदी सरकार का पूरा मकसद ही आर्थिक संकट का भार आम जनता पर डालना तथा यह सुनिष्चित करना है कि बड़े पूंजीपतियों पर इसकी आंच तक न आए।
10-16 अक्टूबर के बीच 5 वामपंथी पार्टियां पूरे देश में आर्थिक संकट से निकलने के लिए उचित कार्रवाई की मांग के साथ विरोध प्रदर्षन करने जा रही हैं। रोजी-रोटी की इस लड़ाई से ही जनता की एकता मजबूत होगी और भाजपा-आरएसएस के जन-विरोधी और देष-विरोधी एजेंडे को हराया जा सकता है। आप सबसे अपील है कि दिल्ली-एनसीआर में 16 अक्टूबर को होने वाले संयुक्त विरोध प्रदर्षन में बड़ी संख्या में शामिल हों।
मदन प्रसाद
जिला सचिव
सी0पी0आई0एम, नोएडा
मो0 8810483895