पप्पू जायसवाल बिहारपु र
सूरजपुर जिले के चांदनी बिहारपुर के ग्राम महुली में स्थित गढवतिया का मंदिर स्थित है जो की मूल सुविधाओं से वंचित है दिन पर दिन श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती नजर आ रहा है लेकिन मूल सुविधाएं देखा जाए तो यहां अभी तक प्रशासन द्वारा कोई पहल नहीं किया हैवही ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार लोक सुराज में आवेदन विकास एवं मूर्ति संरक्षण के लिए लगाया गया था जो कि कोई कार्यवाही नहीं की गई
इस से ग्रामीणों ने काफी नाराजगी जताया है सूरजपुर जिले से 125 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम महुली के गढ़ वतिया पहाड़ में मां अष्टभुजी का दरबार है जो की बहुत पूर्व से भारी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और चैत नवरात एव नवरात्र मे तो और श्रद्धालु भारीके संख्या में देखने के लिए मिलते है लेकिन प्रशासन द्वारा अभी तक कोई पहल नहीं किया जा रहा है ग्रामीणों द्वारा सहायता राशि इकट्ठा कर सीढ़ी की व्यवस्था कर आया है लेकिन और देखा जाए तो मूल सुविधाओं से वंचित है दरबार व्यवस्था करवा रहे हैं
मूलभूत सुविधाओं के अभाव के बीच भी भारी संख्या में माता दर्शन के लिए पहुंच रहे श्रद्धालु
सूरजपुर जिले के दुरांचल क्षेत्र चांदनी बिहारपुर के ग्राम महोली में मां गढ़वतिया देवी धाम में शारदीय नवरात्रि के शुभ अवसर पर मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ प्रतिदिन उमड़ रही है यहां उत्तर प्रदेश छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश झारखंड से भारी संख्या में दर्शनार्थी पहुंच रहे हैं प्रतिवर्ष यहां चैत्र नवरात्र व शारदीय नवरात्र में मेला लगता है श्रद्धालुओं की आस्था है कि यहां जो भी भक्त माता के दरबार में आता है उन सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं भक्त श्रद्धा से नारियल चुनरी चढ़ाते हैं यहां गढ़वतिया में पूरे पहाड़ में प्राचीन मूर्तियों का भंडार है लेकिन संरक्षण के अभाव में बहुत सारी मूर्तियां टूट चुकी हैं वह अस्त-व्यस्त बिखरी हुई हैं ग्रामीणों ने कलेक्टर से मूर्तियों की संरक्षण व मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था करवाने की मांग की है दर्शनीय स्थल होने के बावजूद भी अभी तक प्रशासन द्वारा ना तो बिजली की व्यवस्था की गई है और नहीं पानी की कोई व्यवस्था है और पहाड़ी पर दुर्गम चढ़ाई चढ़ने के लिए सीडियो तक की व्यवस्था नहीं है ग्रामीणों ने कलेक्टर से मंदीर को दर्शनीय स्थल के रूप में घोषित करने की मांग की है व मूर्तियों को संरक्षण हेतु पुरातत्व विभाग को सौंपने की मांग की है
माँअष्टभुजी धाम में लगा भक्तो का ताता सूरजपुर जिले के वनांचल छेत्र चांदनी बिहारपुर के ग्राम महुली में शारदीय नवरात्र के पावन पर्व में मां अष्टभुजी के आंगन में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ प्रतिदिन उमड़ रही है।यहाँ उत्तर प्रदेश छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश व झारखंड से भारी संख्या में भक्त पहुंच कर माता के दरबार मे हाजरी लगा रहे है।गढ़वतिया धाम के मुख्य पुजारी सोमारसाय व जगमोहन ने बताया कि यहाँ जो भी दर्शन को आते हैं माता उनकी मनोकामना पूर्ण करती है। माता के भक्त श्रद्धा सुमन से जो भी अर्पण करते है माता उनकी मनोकामना जरुर पूर्ण करती है। इस धाम का आकर्षण का केंद्र यह है कि यहाँ प्राचीन मूर्तियों का विसाल भंडार है। परन्तु प्राचीन मुर्तिया संरक्षण के अभाव में टूटे पड़े हैं अस्त-व्यस्त बिखरे पड़े हैं। ग्रामीणों ने कलेक्टर से माता के धाम में मूलभूत सुविधाओं की व्ययस्था करवाने की मांग की है। पुरातत्व विभाग से भी मूर्ति संरक्षण की अपील की गई है।
माँ अष्टभुजी धाम में भक्तो की भीड़ हमेशा रहती है लेकिन सुविधाओं के अभाव में दर्शनार्थियों को पहुंचने में अनेक कठिनाइयों सामना करना पड़ता है। यह मूलभूत सुविधाओं जैसे पानी लाइट सीढ़ी की अव्यवस्था साफ दिखाई देती है। महुली गांव के पहाड़ में मिले दसवीं शताब्दी के पुरातात्विक अवशेष
सरगुजा संभाग मुख्यालय से करीब 175 किलोमीटर की दूरी पर सूरजपुर जिले के बिहारपुर…सरगुजा संभाग मुख्यालय से करीब 175 किलोमीटर की दूरी पर सूरजपुर जिले के बिहारपुर (चांदनी) क्षेत्र में प्राचीन पुरातात्विक गांव महुली के गढ़वतिया पहाड़ी पर कई सदी पुराने स्तंभ मिले हैं। पहाड़ी के नीचे खाई में ऐसे कई अवशेष बिखरे पड़े हैं। काले पत्थरों से निर्मित स्तंभों में कुछ तो सही स्थिति में है, लेकिन कुछ जानकारी व सुरक्षा के अभाव में नष्ट होते जा रहे हैं।
पप्पू जायसवाल सजय पकज राकेश असोक कमलेश रामप्रकास मनीष पवन कुमार सन्तोष बिहारीलाल बालकराम लक्षमण जायसवाल परिवार ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पुरातात्विक धरोहर मेंंे महुली के गढ़वतिया पहाड़, सीता लेखनी पहाड़ के शिलालेख और लक्ष्मण पंजा, चपदा गांव की गुफा जोगी माड़ा, कुदरगढ़ के शैलचित्र शामिल हैं।
काले पत्थरों में बने हुए हैं शिवलिंग
बताया कि यहां इस तरह के लगभग 100 से अधिक पत्थर हैं। ग्रामीण नहीं जानते कि ये किसकी प्रतिमाएं हैं। जब इन स्तंभों को देखा गया तो पाया कि काले पत्थरों से निर्मित स्तंभों के मध्य भाग में शिवलिंग बने हुए हैं। इसके दोनों ओर उमा महेश के दो उपासक वंदना की मुद्रा में दिखाए गए हैं। उनके ठीक ऊपर अभय की मुद्रा में हाथ उत्कीर्ण है। हाथ के दोनों ओर सूर्य और चांद की आकृति बनी हुई है और सबसे ऊपरी सिरे पर कलश की आकृति बनी हुई है। इनकी विशेषताओं के आधार इनका निर्माण काल संभवतः 9वीं सदी से 12वीं सदी के बीच का माना जा सकता है।
मूर्तियों को तोड़ रहे ग्रामीण
पहाड़ में मिली कई मूर्तियां
पहाड़ी पर गढ़वतिया माई की प्रतिमा काफी प्राचीन है। यह प्रतिमा अष्ठभुजी दुर्गा की है। महुली गांव धार्मिक दृष्टि से जितना प्रसिद्ध है, वहीं उससे ज्यादा प्रसिद्ध पुरातात्विक दृष्टि से भी है। सुरक्षा और संरक्षण के अभाव में ग्रामीण मूर्तियों को तोड़ रहे हैं।
सुमार साय ने बताया कि पहाड़ी पर शिव, गणेश, हनुमान, महिषासुर मर्दनी की मूर्ति भी देखने को मिलती है। इसे देखकर लगता है कि यहां कोई प्राचीन गढ़ रहा होगा। इसलिए इसका नाम गढ़वतिया पहाड़ पड़ा। मान्यता है कि इस पहाड़ी पर राजा बालम ने किला व मंदिर बनवाया था। राजा खैरवार जाति के थे, इसलिए पहाड़ी देवी की पूजा खैरवार जाति के बैगा ही करते हैं।