त्यागीए या लीजिए संकल्प आज ही के सी शर्मा





के सी शर्मा*
दीपवाली के त्योहार में बहुत घरो में जाना हुआ। सब जगह चाय पी, चाय पीने के बाद घण्टे भर मुह कड़वा लगता रहा।
गांव गया, वहां चाय स्वादिष्ट नही थी पर मुह कड़वा नही हुआ।बाजार में कहीं भी चाय पीता हु, 5 रुपये से लेकर 20 रुपये वाली, वहां भी चाय कड़वी ही मिलती है।

*आखिर कँहा गया चायपत्ती का स्वाद या दूध का स्वाद या शक्कर का स्वाद आखिर क्यों चाय पीने के बाद मुंह कड़वा लगता है पुराने लोग जो जीवन भर 1 गिलास भरकर चाय पीते थे और ये लोग आज 70 वर्ष या अधिक उम्र के है लेकिन पूरी तरह स्वस्थ है जबकि
1 छोटा कप चाय पीने वाले लोगो का पेट गड़बड़ हो रहा ? क्यो कुछ वर्षो पहले तक जन्माष्टिमी या सावन सोमवार में दूध की कमी हो जाती थी बाजार में और घर घर दूध बाटने वाले लोग 1 किलो की बजाय 1 पाव दूध ही देते थे उस दिन?
लेकिन अब इन विशेष दिनों में जितना दूध मांगो , मिल जाता है, कैसे?

क्यंकि
अब पूरे भारत देश मे यूरिया, ब्लीचिंग पाउडर ,डिटर्जेंट जैसे पेस्ट से बना दूध मिल रहा है ,और यही कारण है कि ऐसे दूध से बनी चाय पीने से चायपत्ती,शक्कर का स्वाद पता ही नही चलता ,चाय पीने केबाद घण्टे भर तक मुह कड़वा लगता रहता है।
इसी पेस्ट के उपयोग से बाजार में अब किसी त्योहार में दूध की कमी नही होती।
इसी पेस्ट वाले दूध के कारण अब घर घर मे बच्चो का पेट खराब, आंखों पर चश्मा, स्कूली बच्चों के बाल सफेद होते जा रहे है।

इसलिए


*त्यागिये अब दूध को*
दूध की चाय पूरी तरह बन्द करिये

बच्चो को दूध देना बन्द करिये।  सरकारी कम्पनी का पैकेट वाला दुध मिल रहा तो लीजिये, खुद पहले उसको स्वाद लेकर देखिये।
दूध के असली स्वाद को पहचानने के लिए स्वयम किसी गांव जाए, जिस घर मे गाय पली हो उनके घर मे जाकर चाय पीजिये, चायपत्ती , शक्कर भी खुद अपनी ब्रांड की दीजिये और *आंखे बंद करके, चुपचाप चुस्की लेकर चाय पीजिये, हर घूंट के स्वाद को दिमाग तक पहुचने दीजिये। इस तरह इस असली दूध की चाय का स्वाद आपको याद हो जाएगा,   उस घर मे गर्म दूध ,शककर के साथ ,बिना शक्कर के भी पीकर देख लीजिए,ताकि असली दूध का स्वाद मालूम रहे।

घर मे काली नींबू चाय,या ग्रीन टी पीना आरम्भ कीजिये।

कुछ समय के लिए दूध का बहिष्कार करिये तो रोगों का भी बहिष्कार हो जाएगा अपने आप।