के सी शर्मा की एक खास रिपोर्ट,"हक़ीकत के आईने में"*
शक्तिनगर।सोनभद्र।
जनपद के एक विधायक जी आज शक्तिनगर परिक्षेत्र में चुपके से आये और दबे पांव निकल लिए ,इलाके के लोग और स्थानीय नेता, पत्रकार खोजते रह गए।
वे इस तरह गायब हुए जैसे "वह रात के अंधेरे में चुपके से
आती हैं" और चोरी से "कब चली जाती" है किसी को पता नही।आज इसी तरह का नजारा उर्जान्चल में देखने को मिला,जब विधायक जी के आने की खबर इलाके में बिजली के करेंट की तरह फैली तो लोग एक दूसरे से फोन कर पूछते रहे, लेकिन किसी को उनके आने की खबर व लोकेसन का पता नही थी।
लोग गेस्टहाउस से लेकर विभिन्न जगहों पर तलासते रहे, लेकिन विधायक जी नही मीले।
वे कब आये,कब निकल गए उनके खासम,- खास तक को पता नही था। जो आज चर्चा का विषय रहा और वह कई रहस्यों जो जन्म दे गया।
एक "कलम कार" की नजर उनपर पड़ गयी लेकिन वह कुछ समझ पाते तब तक उनकी फॉर्च्यूनर फर्राटे भरने लगी और देखते- देखते ऑखो से ओझल हो गयी।
इसी तरह क्षेत्रीय सांसद भी बीते सप्ताह उर्जान्चल में आये और सार्वजनिक प्रतिष्ठानो के अतिथि गृहों की शोभा बढ़ाते हुए उनका आतिथ्य स्वीकार कर, जनता से दूरी बनाते हुए, कार्यकर्ताओ के "आँखों मे धूल झोंक", चुपके से प्रवंधन से मिल,दबे पांव निकल लिए।जब जनता और नेताओं को पता लगा।तब जनता और नेता यह कहते सीर पीटते दिखे, की अब 2से साढ़े चार साल तक अब इसी तरह सीर पीटते ही रहना है।
लगता हैं उर्जान्चल वासियों की यही नियति ही हो गयी है।
ये वेसुध पड़े हैं, इनकी सुधि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को लेनी चाहिए?, लेकिन उन्हें तो अपनी सुधि से ही फुर्सत नही है, वे जनता की क्या सुधि क्या लेंगे?, इसीलिए जनता अपने बदहाली पर आँसू बहाने को विवस है।
चुनाव में पार्टी और नेता जी को कार्यकर्ता और जनता की 15 दिनों के लिए याद आती हैं।
तब नेता जी उनका , मान, मनुव्ल, चरण बन्दन करते हैं और चुनाव समाप्त होते वे उनसे सूत व्याज के साथ अपनी चरण वन्दना कराने लगते हैं।
यह लोकतंत्र में प्रजातंत्र है।
भैया सीर को क्यो पीटते हो,यही तो राजनीति के हकीकित का आईना है।