गाजियाबाद। गांधी जयंती एवं नवरात्र के अवसर पर सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल में बच्चों द्वारा मनोहारी प्रस्तुतियां प्रस्तुत की गई। स्कूल की तीनों शाखाओं में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को विभिन्न माध्यमों से श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस के अवसर पर बच्चों ने वरिष्ठ अभिभावकों का भी सम्मान किया। नेहरू नगर स्थित शाखा में बच्चों ने संपूर्ण रामायण को मंचित किया। राष्ट्रपिता की 150वीं जयंती के अवसर पर मौजूदा दौर में गांधीवाद पर चिंता प्रकट करते हुए वरिष्ठ शिक्षाविद संतोष ओबराय ने कहा कि महात्मा गांधी ने आजादी दिलाने में ही महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभाई, बल्कि पूरे विश्व को शांति, अहिंसा और स्वच्छता का जो मार्ग दिखाया वह आज और भी अधिक प्रासंगिक हो गया है। एक छात्र ने कविता "सत्य अहिंसा और सादगी सदाचार तुमको थे प्यारे, साथ तुम्हारे विदा हो गए जितने थे आदर्श तुम्हारे, छल, फरेब, दुराचार का आज बोल बाला है, बाबू सच तो यह है सच के मुंह पर लगा हुआ है ताला बापू" के माध्यम से मौजूदा स्थिति में गांधीवाद की स्थति को रेखांकित करने का प्रयास किया।
स्कूल की सीनियर ब्रांच और कवि नगर शाखा के बच्चों द्वारा प्रस्तुत रामलीला और महिषासुर वध का मंचन प्रभावशाली रहा। अपने संबोधन में चेयरमैन रो. सुभाष जैन ने कहा कि स्कूल प्रांगण में नाती पोतों के अभिभावक के रूप में उपस्थिति ने उन्हें एक नया अनुभव प्रदान किया है। डायरेक्टर प्रिंसिपल डॉ. माला कपूर ने बच्चों को बुजुर्ग अभिभावकों के सम्मान की शपथ दिलाई। इस अवसर पर अंजू जैन ने अपनी कविता की पंक्तियों "मेरे तन मन की मिट्टी में प्राण बनकर घुली है मां, नमक जैसी जरूरी और कभी गुड़ की डली है मां" से वातावरण को भावविभोर कर दिया। इस अवसर पर श्रीमती बबीता जैन, डॉ. मंगला वैद, श्रीमती रेनू चोपड़ा, सुश्री कविता सरना, सुश्री उमा नवानी, आलोक यात्री सहित बड़ी संख्या में अभिभावक मौजूद थे।
स्कूल की सीनियर ब्रांच और कवि नगर शाखा के बच्चों द्वारा प्रस्तुत रामलीला और महिषासुर वध का मंचन प्रभावशाली रहा। अपने संबोधन में चेयरमैन रो. सुभाष जैन ने कहा कि स्कूल प्रांगण में नाती पोतों के अभिभावक के रूप में उपस्थिति ने उन्हें एक नया अनुभव प्रदान किया है। डायरेक्टर प्रिंसिपल डॉ. माला कपूर ने बच्चों को बुजुर्ग अभिभावकों के सम्मान की शपथ दिलाई। इस अवसर पर अंजू जैन ने अपनी कविता की पंक्तियों "मेरे तन मन की मिट्टी में प्राण बनकर घुली है मां, नमक जैसी जरूरी और कभी गुड़ की डली है मां" से वातावरण को भावविभोर कर दिया। इस अवसर पर श्रीमती बबीता जैन, डॉ. मंगला वैद, श्रीमती रेनू चोपड़ा, सुश्री कविता सरना, सुश्री उमा नवानी, आलोक यात्री सहित बड़ी संख्या में अभिभावक मौजूद थे।