अभी कल कौन बनेगा करोड़पति में उस महिला के बारे में सवाल पूछा गया था जिसने पेड़ों को कटने से बचाने के लिए अपनी और अपनी दो बेटियों के साथ प्राणों की आहुति दे दी थी। वर्ष 1731 में खेजड़ी के पेड़ को कटने से बचाने के लिए राजस्थान के जोधपुर में 363 लोगों ने अपने जान की कुर्बानी दे दी थी। सत्ता में बैठे लोगों को इनकी जान लेने में कोई गुरेज नहीं हुआ।
सत्ता की जिद और अहंकार में कोई अंतर नहीं आया है। मुंबई में ऑरे फारेस्ट का नामोनिशान मिटाया जा रहा है। ऑरे फारेस्ट के पेड़ पूरे मुंबई के लोगों के लिए आक्सीजन मुहैया कराते हैं। यहां पर तमाम प्रजातियों का घर है। पक्षियों के घोसले हैं। फूलों पर न जाने कितनी तितलियां मंडराती हैं। लेकिन, सत्ता में बैठे लोगों को आक्सीजन से ज्यादा जरूरत मेट्रो को खड़ा करने के लिए पार्किंग की है।
वे पेड़ों को पार्किंग के लिए काटना चाहते हैं।
जबसे से ऑरे फारेस्ट के 27 सौ के लगभग पेड़ों को काटने की खबर आई है। मुंबई के लोग इसका विरोध कर रहे हैं। वे अपनी सांसों को बचाने के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन, सरकार अपनी गंदी षडयंत्र भरी चालों को चलने में मशगूल है। कल इस संबंध में कुछ निर्णय आया था। इस निर्णय को अभी वेबसाइट पर अपलोड होना था। इसके बाद पंद्रह दिन का नोटिस दिया जाना था। पेड़ों को बचाने में लगे लोग इस बीच सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन, कल रात को ही इन पेड़ों को काटने की शुरुआत कर दी गई। सदियों से समझदारी रही है कि रात को पेड़ नहीं काटे जाते। रात को पेड़ों पर पक्षी सो रहे होते हैं।
पेड़ बचाने के लिए वहां पर सैकड़ों लोगों की भीड़ एकत्रित हो गई। जिन पर लाठी चार्ज किए जाने और हिरासत में लिए जाने के भी समाचार हैं। नीचे जो दो तस्वीरें लगाई गई हैं, दोनों सोशल मीडिया से ली गई हैं। इसमें कटे हुए पेड़ों को साफ-साफ देखा जा सकता है। लाखों लोग सरकार के इस कदम का विरोध कर रहे हैं। वे लाठी खाने को भी तैयार हैं।
आज भी सत्ता उतनी ही जिद्दी और अहंकारी है कि वो लोगों की अपीलों को सुनने के लिए तैयार नहीं है। उसे लोगों की परवाह नहीं है। अब यह कोई रहस्य नहीं रह गया है कि पूरी सत्ता किसके इशारों पर चल रही है। कौन इन सबका फायदा उठा रहा है।
कौन बनेगा करोड़पति से खेलने से कहीं ज्यादा जरूरी है कि उन पेड़ों और पौधों को बचाया जाए जो हमें सांस देते हैं। जब ऑक्सीजन ही नहीं रहेगी तो करोड़पति बनने से भी कोई फायदा नहीं होने वाला।