एनजीटी ने पर्यावरणीय क्षति के एवज में योजनाओं से 78 करोड़जुर्माने की राशि वसूलने के लिए आदेश

  द्वारा जनपद-सोनभद्र(उ.प्र.) व सिंगरौली(म.प्र.) मे स्थित औद्दोगिक इकाईयो व कोयला खदानो द्वारा पर्यावरण को क्षति पहुंचाने व माननीय हरित अधिकरण के आदेशो व निर्देशो का अनुपालन करने के एवज मे कुल 78 करोड 32 लाख 07 हजार रुपये जुर्माना वसुलने का आदेश दिया है जिससे परियोजनाओ मे हलचल मची हुई है।बैढन निवासी अंजनी जायसवाल द्वारा माननीय हरित अधिकरण मे दाखिल याचिका संख्याः-453/2019, Anjani jaiswal vs. Union of India मे सूनवाई के क्रम मे एनजीटी ने कमेटी ने गठित की थी जिसने इन परियोजनाओ व खदानो पर पर्वयावरण को क्षति पहुंचाने व एनजीटी के आदेशो व निर्देशो का अनुपालन न करे के एवज मे जुर्माने का राशि का आंकलन किया व एनजीटी द्वारा दिनांकः-11 अक्टुबर, 2019 को पारित आदेश मे जुर्माने की राशि को वसुलने का आदेश दिया गया है।

:- एनजीटी मे इस प्रकरण मे पैरवी करने वाले इलाहाबाद न्यायालय के अधिवक्ता अभिषेक चौबे थे जिन्होने फोन से हुये संवाद मे बताया कि मध्य प्रदेश मे स्थित कोयला खदानो व औद्दोगिक इकाईयो पर 56 करोड 08 लाख पचास हजार रुपये का जुर्माना व उत्तर प्रदेश मे स्थित कोयला खदानो व औद्दोगिक परियोजनाओ पर 22 करोड, 23 लाख 57 हजार रुपये जुर्माना लगाया है तथा कहा है कि जुर्माने के आंकलन मे प्राईवेट परियोजना व संस्थानो को राहत दी गई है तथा हमारी याचिका मे मांग थी की अब तक कि सभी कमेटीयो द्वारा पर्यावरण व जल स्त्रोतो को पुनः उनके मुल अवस्था मे लाने हेतु जो लागत लगने का आंकलन था के अनुसार जुर्माने की राशि वसुली जाये जबकि यहा महज 78 करोड का कोरम पुरा किया गया है जिसके विरुध्द रिव्यु दाखिल किया जायेगा उन्होने कहा कि जुर्माने की राशि से सोनभद्र व सिंगरौली के लोगो को प्रदुषण से अब तक हुई हानि की पुर्ति तो नही की जा सकती जो अकाट्य सत्य है परन्तु हां परियोजनाओ को यह सबक अवश्य मिलेगा कि परियोजनाओ के साथ पुरी व्यवस्था भले ही हो परन्तु इन्हे भी पर्यावरण को क्षति पहुंचाने का दण्ड झेलना होगा।