कैसे पहचाने इसके लक्षण
पैनिक अटैक आते ही आपके दिल की धड़कन काफी तेज हो जाती हैं और हाथ पैर कांपने लगते हैं इसके साथ ही आपको पसीना भी आने लगता है और सांस लेने में तकलीफ होने लगती है गला सूखने लगता है आंखों के सामने अंधेरा छाने लगता है और चक्कर आते हैं कई मामलों में व्यक्ति खुद को ही नहीं पहचान पाता और उसे मर जाने का भय सताने लगता है जबकि ऐसा कुछ भी नहीं होता है हमें उस समय थोड़ा संयम और होशियारी से काम लेना चाहिए।
पैनिक अटैक से बचाव और उसके उपाय
जब भी आपको पैनिक अटैक का एहसास हो तो शांति से बैठकर गहरी सांस लें इससे शरीर और दिल की धड़कन सामान्य हो जाएंगी जब भी इस तरीके की समस्या आपको हो तो सबसे पहले एक गिलास ठंडा पानी पीना चाहिए इससे शरीर सामान्य स्थिति में आ जाता है पैनिक अटैक में आपके दिमाग में नकारात्मक विचार आने लगते हैं ऐसे में आप ऐसे विचारों को खुद से दूर रखें पैनिक अटैक के दौरान लोगों को लगता है कि वह बेहोश हो जाएंगे जबकि ऐसा नहीं होता है वह निकट एक में ब्लड प्रेशर लो नहीं हाई होता है उस समय जब आपको लगे कि आप अपने ऊपर नियंत्रण हो रहे हैं तो सबसे पहले यह सोचना बंद कर दें कुछ देर आराम से नीचे बैठ जाएं और खुद को शांत करें पैनिक अटैक की समस्या का कारण आपकी अव्यवस्थित जीवनशैली भी होती है इसलिए नियमित रूप से मानिक बाग और योगाभ्यास करते रहे जिससे आपका शरीर स्वस्थ और चुस्त दूर रहे इससे बचने के लिए कम से कम 8 घंटे की नींद अवश्य लें जिससे आपका तनाव कम होगा और शारीरिक और मानसिक स्वस्थ रहेंगे इस पर डॉक्टर गजेंद्र गोयल का कहना है कि पैनिक अटैक हार्ट अटैक नहीं होता है यह ज्यादातर 25 से 40 साल की उम्र के लोगों में होता है इसका मुख्य कारण काम का अत्यधिक दबाव या अचानक कोई जिम्मेदारी पर जाना भी हो सकता है हार्ड अटैक में पसीना ज्यादा आता है और सांस लेने में दिक्कत होती है जबकि पैनिक अटैक में ऐसा नहीं होता इसमें एंजायटी और रिस्टलेसनेस ज्यादा होती है और ज्यादातर हार्ड अटैक 40 वर्ष की आय के बाद ही आता है।