नवरात्रि का पहला दिन और इस दिन मां की आराधना करने से पहले कलश स्थापना करने का नियम बनाया गया है क्योंकि कलश को गणेश भगवान का स्वरूप माना जाता है इसीलिए किसी भी पूजा से पहले इसकी स्थापना करना बेहद जरूरी है कलश स्थापना करने के बाद सर्वप्रथम भगवान गणेश की वंदना की जाती है इसके विषय में पुराणों में कहा गया है कि जिस स्थान पर कलश की स्थापना करनी हो सबसे पहले उस जगह को गंगाजल से पवित्र कर लेना चाहिए और उस स्थान पर एक लकड़ी का पटरा रखकर और उस पर कुछ बूंद गंगाजल का छिड़काव कर लाल कपड़ा बिछा देना चाहिए इसके बाद भगवान गणेश को याद कर छोटे मिट्टी के पात्र अथवा गमले में जौ बो कर के ऊपर उसके बाद कलश की स्थापना करनी चाहिए कलश के ऊपर रोली से स्वास्तिक या ओम का चिन्ह बनाने के बाद अंदर आम के पत्ते या अशोक पत्ते उसके मुख पर रखकर रक्षा सूत्र बांधना चाहिए इसके बाद चुनरी में लपेटकर नारियल को कलश पर रखकर और दीप प्रज्वलित कर विधि विधान से मां दुर्गा सहित सभी देवताओं का आवाहन करना चाहिए तत्पश्चात कलश स्थापना की जा सकती है।
कलश स्थापना का शुभ समय
मंदिरों और शक्तिपीठों में प्रातः 4:09 से लेकर 5:23 तक है इसके अलावा देवी के मंडे को और घरों में प्रातः 9:59 से लेकर 11:17 तक माना गया है इसलिए इस समय पर ही कोशिश करके मां के लिए कलश स्थापना करनी चाहिए।