लाल बहादुर शास्त्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद देश के प्रधानमंत्री बने थे उनका प्रधानमंत्री का कार्यकाल काफी कठिनाइयों से भरा हुआ था एक ओर देश में खाद्यान्नों की कमी थी तो दूसरी ओरअंतरराष्ट्रीय जगत में भारत को अस्थिर करने का प्रयास किया जा रहा था लेकिन इन सबके बावजूद भी लाल बहादुर शास्त्री ने कभी हिम्मत नहीं हारी और हर समस्या का दृढ़ता से सामना किया 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में एक बेहद साधारण से परिवार में जन्मे लाल बहादुर शास्त्री बचपन से ही बहुत ही दृढ़ इच्छा शक्ति के स्वामी थे इसलिए पाकिस्तान ने सन 1965 में जम्मू के क्षेत्रफल भयंकर आक्रमण कर दिया था पाकिस्तान और अमेरिका का विचार था कि शास्त्री जी के नेतृत्व में पाकिस्तान के किसी आक्रमण को भारत झेल नही पायेगा और खंडित हो जाएगा लेकिन शास्त्री जी ने इस युद्ध में विजय प्राप्त करके देश को एक सूत्र में ही नहीं बांधा बल्कि उसे उत्साह से भर दिया था उन्होंने देश को खाद्यान्नों के मामलों में आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई ठोस कदम उठाए थे कुल मिलाकर शास्त्री जी भारत के एक बेहद योग्य प्रधानमंत्री साबित हुए जिन्होंने ना सिर्फ विश्व में अपने निर्णय से भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाई थी बल्कि देश को मजबूत भी किया शास्त्री जी एक व्यवहार कुशल और स्पष्ट विचारधारा के व्यक्ति थे उन्होंने अनेक कठिन परिस्थितियों में सदैव सही का समर्थन किया और सदा सच का साथ दिया वह इस सच को भलीभांति जानते थे कि सुख और जैन की घड़ियां इंसान को कभी भी ऊंचा नहीं उठा सकती है उन्होंने सदैव उतनी ही सुविधाएं चाही जिनसे जीवन सही तरह से चल सके विलासिता का जीवन व्यतीत करने कि उन्होंने कभी भी कोशिश नहीं की उनके पास ऐसे अनेकों मौके थे जब वो चाहते तो अपना जीवन विलासिता से बिता सकते थे लेकिन उन्होंने हमेशा अपनी जरूरतों से अधिक दूसरों की जरूरतों को पूरा करने पर ध्यान दिया उनके घर की कोई समस्या हो या देश की हर स्थिति में उन्होंने अपनी सुविधाओं का त्याग किया था मित्रता के विषय में शास्त्री जी का मानना था कि किसी से प्रेम करो या ना करो लेकिन किसी से बैर भी मत करो जब वह नहीं करोगे तो प्रेम स्वतः ही हो जाएगा यदि किसी सज्जन से किसी कारणों से मनमुटाव हो जाए तो अपने संबंधों को इतना सहज रखो कि आवश्यकता पड़ने पर उससे आसानी से संवाद किया जा सके शास्त्री जी का स्वभाव इतना सहज था लेकिन उनका जीवन कभी भी सहज नहीं रहा सदैव किसी आदर्श व्यक्ति की तरह उन्होंने बड़े बड़े काम किए परंतु कभी बड़े बोल नहीं बोले अपने जीवन को उन्होंने कर्म कि जिस भट्टी में तब आया था उसमें उन्हें अपने जीवन का ऐसा संतुलन प्राप्त हुआ जो करोड़ों में से एक आध को ही प्राप्त होता है वह सत्य की कठोर भूमि पर चलते चलते मानव जीवन की इस सच्चाई को जान गए थे कि अति कोमल स्वभाव वाले व्यक्ति को लोग भीरु समझकर कभी भी उसका अपमान कर देते हैं और कठोर स्वभाव वाले व्यक्ति को अक्सर घमंडी समझकर लोग उसका तिरस्कार करते हैं महिलाओं की जागरूकता के लिए उन्होंने कई क्रांतिकारी कदम उठाए थे उन्होंने नियम बनाया की स्त्रियां हर वह काम कर सकती हैं जो पुरुष कर सकते हैं वह अक्सर कहा करते थे कि स्त्रियां अपने मेज पर फाइलों का ढेर नहीं लगने देती वे निष्ठा और लगन के साथ काम करती हैं संभवत परिस्थिति की जिम्मेदारी जिस व्यक्ति पर होती है वह व्यक्ति निश्चित ही उस व्यक्ति की तुलना में कहीं अधिक सीखता है जिसके ऊपर ऐसी कोई जिम्मेदारी नहीं होती लाल बहादुर शास्त्री तो सदा ही संभव और असंभव के बीच की दूरी को तय करने में ही अपनी उपलब्धि समझते थे जब वह प्रधानमंत्री थे तब उन्होंने किसानों और जवानों का हौसला बुलंद रखा जैसे कि कृषि के मामले में ठोस कदम उठाते थे वैसे ही सुरक्षा के मामले में भी कोई समझौता नहीं करते थे उन्होंने हमेशा ही गरीबी देखी थी और गुलामी को सहन किया था इसलिए वह दोनों के खिलाफ ही जंग करते रहते थे अपने छोटे से प्रधानमंत्री कालू में वे देश के भाग्यविधाता बनकर उभरे और लोगों के दिलों पर छा गए चारों दिशाओं में उनका नारा जय जवान जय किसान गूंज उठा यह लेकिन यह देश का दुर्भाग्य ही है कि आज भी भारत की सरकार इस मानव रूपी देव शक्ति की मृत्यु के कारणों का स्पष्ट पता नहीं लगा पाई और आज भी या संदेह के घेरे में है।
राजकुमार