जल्दी देश में 3 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जिसमें से हरियाणा महाराष्ट्र झारखंड में चुनाव को बहुत कम समय बचा है और इस महीने में कभी भी चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है लेकिन यह ऐसा पहला मौका है जब विपक्ष में कहीं कोई उत्साह नहीं दिख रहा है ऐसा लग रहा है कि चुनाव से पहले ही नेताओ ने अपने हथियार डाल चुके है कारण क्या है पता नहीं लेकिन किसी विरोधी पार्टी में कहीं पर भी कोई जोश नजर नहीं आ रहा है तीनों राज्यों में इस वक्त बीजेपी की सरकार है सत्ता में रहने वाली पार्टी पर वापसी का दबाव कहीं ज्यादा होता है उनके खिलाफ सत्ता विरोधी माहौल भी होता है इस लिहाज से बीजेपी के सामने सबसे ज्यादा चुनौती होनी चाहिए थी लेकिन विपक्ष के मुकाबले सत्तारूढ़ ज्यादा आत्मविश्वास दिख रहा है और उन्हें लग रहा है कि जीत उनकी ही होगी यह विश्वास क्यों और कहां से आया कुछ पता नही लेकिन एक संकेत है कि राष्ट्रीय राजनीति में विपक्ष की धार कुंद हो रही है और मोदी के आभामंडल में विपक्ष ने अपने आत्मविश्वास को गंवा दिया है तीनों राज्यों के चुनाव से पहले ही नेताओ ने हथियार डाल दिये है लेकिन देश मे होने वाले विकास दर के कम होने और मंदी के दौर में होने के बीच इन राज्यों में चुनाव होने में लेकिन फिर भी बीजेपी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है बीजेपी आर्थिक मोर्चे पर भले ही फेल होती दिख रही हो लेकिन राजनीतिक मोर्चे पर वह पास होती जाती है इसलिए आर्थिक मुद्दों पर देशभर में जूझ रहे भारतीय जनता पार्टी के कार्यकताओं को चुनाव में जीत का टॉनिक लेना जरूरी है।
तीन राज्यों में चुनाव से पहले विपक्षी नेताओं ने किया मानसिक सरेंडर आर्थिक मोर्चों पर जूझ रही बीजेपी चुनावी टॉनिक की तैयारी में
जल्दी देश में 3 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जिसमें से हरियाणा महाराष्ट्र झारखंड में चुनाव को बहुत कम समय बचा है और इस महीने में कभी भी चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है लेकिन यह ऐसा पहला मौका है जब विपक्ष में कहीं कोई उत्साह नहीं दिख रहा है ऐसा लग रहा है कि चुनाव से पहले ही नेताओ ने अपने हथियार डाल चुके है कारण क्या है पता नहीं लेकिन किसी विरोधी पार्टी में कहीं पर भी कोई जोश नजर नहीं आ रहा है तीनों राज्यों में इस वक्त बीजेपी की सरकार है सत्ता में रहने वाली पार्टी पर वापसी का दबाव कहीं ज्यादा होता है उनके खिलाफ सत्ता विरोधी माहौल भी होता है इस लिहाज से बीजेपी के सामने सबसे ज्यादा चुनौती होनी चाहिए थी लेकिन विपक्ष के मुकाबले सत्तारूढ़ ज्यादा आत्मविश्वास दिख रहा है और उन्हें लग रहा है कि जीत उनकी ही होगी यह विश्वास क्यों और कहां से आया कुछ पता नही लेकिन एक संकेत है कि राष्ट्रीय राजनीति में विपक्ष की धार कुंद हो रही है और मोदी के आभामंडल में विपक्ष ने अपने आत्मविश्वास को गंवा दिया है तीनों राज्यों के चुनाव से पहले ही नेताओ ने हथियार डाल दिये है लेकिन देश मे होने वाले विकास दर के कम होने और मंदी के दौर में होने के बीच इन राज्यों में चुनाव होने में लेकिन फिर भी बीजेपी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है बीजेपी आर्थिक मोर्चे पर भले ही फेल होती दिख रही हो लेकिन राजनीतिक मोर्चे पर वह पास होती जाती है इसलिए आर्थिक मुद्दों पर देशभर में जूझ रहे भारतीय जनता पार्टी के कार्यकताओं को चुनाव में जीत का टॉनिक लेना जरूरी है।