14 सितंबर से पित्र पक्ष सुरु जाने कब करें अपने पितरो को नमन और उनका श्राद्ध


 13 सितम्बर 2019भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा की तिथि है इस दिन ऋषि मुनियों का तर्पण किया जाता है इस दिन पर लोग  परलोक में रहने वाली पितरों की आत्मा परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए विदा होती है और आज ही के दिन परिवार के बीच पहुंच जाती हैं प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक पितरों की आत्मा धरती पर ही निवास करती है यही वजह है कि इन 15 दिनों में मनुष्य को संयम पूर्वक रहना चाहिए इन दिनों काम भाव को त्याग कर सदाचार का जीवन व्यतीत करना चाहिए इससे पितरों को प्रसन्नता होती है गरुड़ पुराण में कहा गया है कि पितर लोग को गई आत्मा पित्र पक्ष में जब लौटकर आती है तो वह अपने परिवार द्वारा किए गए और जल को ग्रहण कर होती है इसी से पितरों की आत्मा को बल मिलता है और वह अपने परिवार के लोगों का कल्याण कर पाते हैं जिन्हें पितृपक्ष में अन्य जल प्राप्त नहीं होता वह भूख प्यास से व्याकुल होकर अमावस्या के दिन लौट जाते हैं पितरों का निराश होकर लौटना परिवार में निराशा और कष्ट को बढ़ाता है शास्त्रों के नियम के अनुसार जिस दिन दोपहर के समय अधिक समय तक जो तिथि व्याप्त हो उस दिन ही उसी तिथि का श्राद्ध किया जाना चाहिए इस नियम के अनुसार 15 तारीख को तृतीया तिथि का श्राद्ध किया जाएगा इस बार श्राद्ध पक्ष में एकादशी और द्वादशी का श्राद्ध एक ही दिन होगा द्वादशी तिथि का क्षय है।

13 सितम्बर-पूर्णिमा श्राद्ध
14सितम्बर,प्रतिपदा तिथि का श्राद्घ
15 सितम्बर,रविवार द्धितीय तिथि का श्राद्ध
आदि।
पण्डित रामजी पांडेय