चांद की सतह पर लेंडर विक्रम की साफ्ट लैंडिंग भले ही नहीं हो पाई हो लेकिन chandrayaan-2 से इसरो की उम्मीदें कई गुना ज्यादा बढ़ गई है भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो का कहना है कि लैंडिंग से पहले तक यान की प्रक्रिया इतनी सटीक रही कि आर्बिटल की उम्र 7 गुना तक बढ़ गई है इसके अतिरिक्त अब पहले से निर्धारित 1 साल की बजाय करीब 7 साल तक अध्ययन करता रहेगा अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि अब तक अभियान से जुड़े 90 से 95 तक लक्ष्य हासिल हो चुके हैं केंद्र सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन ने भी यही बात दोहराई chandrayaan-2 के लेंडर विक्रम को लेंडर विक्रम को 6-7 सितंबर की दरमियानी रात 1:30 बजे से वे जिसे चांद पर उतरना था इसकी सॉफ्ट लैंडिंग प्रक्रिया भी 1:31 पर शुरू हो गई थी हालांकि चंद से महज 2.1 किलोमीटर की दूरी पर इससे संपर्क टूट गया इसके बाद से वैज्ञानिक इस बात को समझने में लगे हैं कि विक्रम के साथ आखिरी क्षणों में क्या हुआ था इसरो प्रमुख के शिवम ने कहा था कि अगले 14 दिन तक लैंडर से संपर्क साधने की कोशिश चलती रहेगी इसरो के पूर्व डायरेक्टर भी शशि कुमार का कहना है कि संभवतः विक्रम की क्रैश लैंडिंग नहीं हुई है वेंडिंग का साक्षी बनने और वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी स्वयं इसरो मुख्यालय पहुंचे थे।
आखिरी समय में विक्रम से संपर्क टूटने की दशा में निराश वैज्ञानिकों को उन्होंने हिम्मत दी और 6 घंटे बाद मोदी फिर इसरो मुख्यालय पहुंचे और वैज्ञानिकों को संबोधित भी किया उन्होंने कहा कि देश को हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रमों और वैज्ञानिकों पर गर्व है देश आपके साथ है मोदी ने पिछली सफलताओं का जिक्र करते हुए इसरो की कामयाबी का जिक्र भी किया मिली जानकारी के अनुसार लेंडर चांद पर सफलतापूर्वक उत्तर नहीं पाया इसे छोड़कर मिशन 95% सफल रहा विक्रम का इसरो के पूरे नियंत्रण में चांद के 2 किलोमीटर करीब तक पहुंचना यह बहुत बड़ी सफलता है इसरो अभी आंकड़ों का अध्ययन कर रहा है कि लंदन के बाद आखिरी क्षणों में क्या हुआ था और किस कारण से संपर्क टूटा लेकिन अभी स्पष्ट तौर से कुछ भी कहना मुश्किल है अभी तो हां भी और ना भी दोनों कहा जा सकता है सैद्धांतिक रूप से हां क्योंकि अभी पता नहीं है कि लंदन में किस तरह की तकनीकी दिक्कत आई है अगर इसमें सभी संकेत काम करने लायक हालात में बचे होंगे तो उसमें फिर से इसरो के संपर्क में आने का चमत्कार संभव है मिशन की सबसे बड़ी सफलता यह रही है कि आर्बिटर अगले 7 वर्ष तक चांद के चक्कर लगाता और महत्वपूर्ण सूचनाएं उठाता रहेगा आंकड़ों के विश्लेषण से इसरो को पता चल जाए कि आखिरी क्षणों में लेंडर के साथ क्या हुआ था तो बहुत जल्दी ऐसी परियोजनाओं पर काम शुरू हो सकता है जिससे आगे से कोई समस्या उत्पन्न ना हो इस मिशन पर सरकार और इसरो ने दोनों ने मिलकर कहा कि हमारा मिशन विफल नहीं हुआ है और इस अभियान का 90 से 95 फ़ीसदी तक लक्ष्य हासिल हो चुका है आगे भी कोशिशें जारी रहेंगी।