वैसे तो गणेश जी की जन्म की गाथा निराली है उसमें कहा गया है कि गणेश जी भगवान शिव के पुत्र हैं और हर समस्या का समाधान करने वाले भी हैं इस संसार में हर व्यक्ति किसी न किसी शक्ति का यकीन करता है और उसकी आराधना भी करता है लेकिन विघ्नहर्ता श्री गणेश की पूजा सभी देवताओं से पहले की जाती है पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्री गणेश शिव पुत्र हैं चूंकि शिव जी का निवास स्थान कैलाश पर्वत है इडलिये कहानी के अनुसार एक बार भगवान शिव अपने गणों के साथ भ्रमण करने के लिए गए थे और घर पर पार्वती जी अकेली थी एकांत पाकर पार्वती जी स्नान करने के लिए तैयार होने लगी तभी उनके मन में एक विचार आया कि अगर स्नान करते वक्त बीच में कोई घर के भीतर आ गया तो यह उचित नहीं होगा इसलिए उन्होंने अपने शरीर के मैल से एक बालक की प्रतिमा बनाई और उसमें प्राण प्रतिष्ठा करके उसे दरवाजे पर बिठा दिया और निर्देशित किया कि जब तक मैं नहीं बोलूंगी किसी को अंदर मत आने देना कुछ देर के बाद शिवजी जब वापस आए तब वह अपने घर जाने लगे तो गणेश जी ने उन्हें रोका और बोला मेरी मां का निर्देश है कि आप अंदर नहीं जा सकते इसके बाद शिव के गणों के बीच गणेश जी का युद्ध हुआ जिसमें गणेश जी ने सभी घरों को हरा दिया उसके बाद शिवजी को क्रोध आ गया और उन्होंने अपने त्रिशूल से गणेश जी का सिर काट दिया जब या बाद पार्वती जी को पता चली तब वह बड़ी व्याकुल हुई और शिवजी से अपने बालक को जीवित करने को कहा तब शिवजी ने कहा कि अब यह बालक तभी जीवित हो सकता है जब इस पर कोई दूसरा सिर लगेगा उन्होंने अपने गणों को आदेश किया कि कोई सिर लेकर आए जिसे गणेश जी को जीवित किया जा सके गण आज्ञा पाकर शेर की तलाश में निकल गए और उन्हें कोई शेर नहीं मिला तो एक हाथी का बच्चा लेटा हुआ था उसका सिर काट कर ले आए और इस तरीके से गणेश जी का पुनर्जीवन हुआ अपनी माता के के निर्देश को पालन करते हुए गणेश जी ने अपना जीवन खो दिया था इसलिए हाथी के सिर वाले गणेश जी गणेश जी के नाम से विख्यात हो गए जिसके बाद ब्रह्मा विष्णु महेश सभी देव ने मिलकर गणेश जी को आशीर्वाद दिया कि आप सर्वश्रेष्ठ हैं इस सृष्टि पर जब कोई किसी भी देवता की पूजा होगी तब सर्वप्रथम आपको पूजा जाएगा तभी से गणेश जी सर्वप्रथम पूजनीय देवता बन गए इसके बाद गणेश जी सदा ही इंसान के जीवन को संचालित होते की प्रेरणा देते रहते है ।